महा शिवरात्रि/शिव रात्रि (Maha Shivratri/Shiv Ratri) एक हिन्दू धार्मिक त्योहार है जो भगवान शिव के उपासना और आराधना के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार हिन्दू पंचांग के माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है, इस बार महाशिवरात्रि 2024/शिवरात्रि 2024 (Mahashivratri 2024/Shivratri 2024), 8 फरवरी को मनाई जाएगी।
महाशिवरात्रि की कथा/शिवरात्रि कथा (Story of Mahashivratri/Shivratri Story):
एक बार ब्रह्मा और विष्णु के बीच विवाद हुआ की दोनों में से कौन बड़ा है तब इसका फैसला करने के लिए भगवान शिव, लिंग रूप में प्रकट हुए। उन्होंने अपने अद्वितीय स्वरूप को दिखाया और बताया कि वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर अर्थात परब्रह्म परमात्मा हैं। ब्रह्मा और विष्णु ने उनकी उपासना की सृष्टि निर्माण का कार्य प्रारम्भ हुआ, इसी दिन को लोग महाशिवरात्रि पर्व/शिवरात्रि पर्व के रूप में मनाते हैं।
इस दिन भोलेनाथ की पूजा और व्रत करने का महत्व है, इस दिन भगवान शिव का ध्यान, जागरण, और भक्ति करने का विशेष महत्व है।
भक्तगण इस दिन शिवलिंग (Shiv Statue) पर जल, दूध, वेलपत्र, रुद्राक्ष माला, और विभिन्न प्रकार के फल-फूल चढ़ाकर महाशिवरात्रि की पूजा करते हैं, इस दिन भक्तगण महाशिवरात्रि के दिन नीति, नियम, और श्रद्धा भाव से महाशिवरात्रि का व्रत भी रखते हैं, कुछ भक्तगण महाशिवरात्रि को ज्योतिर्लिंगों की यात्रा पर निकलते हैं। बारह ज्योतिर्लिंगों का दर्शन करना इस दिन विशेष फलदायी माना जाता है।
भारत में 12 ज्योतिर्लिंग | Mahashivratri 12 Jyotirlingas in India
S.no | ज्योतिर्लिंग | Jyotirlingas |
1 | सोमनाथ |
2 | मल्लिकार्जुन |
3 | महाकालेश्वर |
4 | ओंकारेश्वर |
5 | केदारनाथ |
6 | भीमाशंकर |
7 | काशी विश्वनाथ |
8 | त्र्यम्बकेश्वर |
9 | वैद्यनाथ |
10 | नागेश्वर |
11 | रामेश्वर |
12 | घृष्णेश्वर/घुश्मेश्वर |
13 | पशुपतिनाथ |
14 | अमरनाथ |
भारत में 12 ज्योतिर्लिंग | Mahashivratri 12 Jyotirlingas in India
1. सोमनाथ
शिव पुराण में सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को सभी ज्योतिर्लिंगों में से प्रथम माना गया है, यह मंदिर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है, इस मंदिर की विशेषता यह है कि इसे लगभग 17 बार विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा तोड़ा गया है, लेकिन फिर भी आज तक बरकरार है।
गुजरात का सोमनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, यह गुजरात के वेरावल बंदरगाह से कुछ ही दूरी पर प्रभास पाटन में स्थित है, इस ज्योतिर्लिंग के संबंध में मान्यता है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं चंद्र देव ने की थी। चंद्र देव के द्वारा स्थापित करने की वजह से इस शिवलिंग का नाम सोमनाथ पड़ा। शिवपुराण के अनुसार चंद्र देव ने यहां राजा दक्ष प्रजापति के श्राप से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की तपस्या की थी और उन्हें यहीं ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान रहने की प्रार्थना की थी। बता दें कि सोम, चंद्रमा का ही एक नाम है और शिव को चंद्रमा ने अपना नाथ स्वामी मानकर यहां तपस्या की थी। इसी के चलते ही इस ज्योतिर्लिंग को सोमनाथ कहा जाता है।
2. मल्लिकार्जुन
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, भगवान शिव के प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो आंध्र प्रदेश के कृष्णा नदी के किनारे स्थित है। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के परिक्रमा मार्ग पर अनेक पवित्र स्थल हैं जैसे की श्री भ्रमरम्बा देवी मंदिर और जोगुलम्बा देवी मंदिर, इसके अलावा, यहाँ के निकटतम श्रृंगेरी पर्वत पर माता भ्रमरम्बा का आश्रम भी है।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की महिमा का वर्णन पुराणों में भी मिलता है। जिसके अनुसार, भगवान शिव यहाँ माता पार्वती की इच्छा से ही विराजमान हुए थे, यहाँ पर भगवान शिव और माता पार्वती का अत्यंत प्रिय मंगलेश्वर मंदिर भी हैं, जो ज्योतिर्लिंग के पास ही स्थित है। मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और उन्हें आनंद, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
3. महाकालेश्वर
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है। महा शिवरात्रि का दिन उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के लिए विशेष है क्योंकि इस दिन भव्य महाकाल लोक कॉरिडोर का लोकार्पण होता है, जो भगवान शिव की महिमा एवं अवतारों से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के लिए समर्पित है।
काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट कहते हैं कि भगवान शिव काल से परे हैं, वे आदि हैं और वे अनंत हैं। जिन लोगों को अकाल मृत्यु का भय रहता है, उनको महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन करना चाहिए। महाकाल की कृपा से अकाल मृत्यु भी टल जाती है। जिस पर महाकाल की कृपा हो जाए, उसका काल भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा का वर्णन शिव पुराण में है।
4. ओंकारेश्वर
नर्मदा नदी के मध्य ओमकार पर्वत पर स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर हिंदुओं की चरम आस्था का केंद्र है। ओम्कारेश्वर का यह शिव मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक माना जाता है और यहां पर मां नर्मदा स्वयं ॐ के आकार में बहती है। नर्मदा के उत्तरी तट पर ओंकार पर्वत पर जो कि एक द्वीप के रूप में ओमकारेश्वर अत्यंत ही पवित्र व सिद्ध स्थान है। हिंदुओं में सभी तीर्थों के दर्शन पश्चात ओंकारेश्वर के दर्शन व पूजन विशेष महत्व है। तीर्थ यात्री सभी तीर्थों का जल लाकर ओमकारेश्वर में अर्पित करते हैं, तभी सारे तीर्थ पूर्ण माने जाते हैं अन्यथा वे अधूरे ही माने जाते हैं। अनेक अन्य मंदिरों के साथ ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग नर्मदा जी के दक्षिणी तट पर विराजमान है, द्वादश ज्योतिर्लिंग में भी उल्लेखित है। इसका प्राचीन नाम अमरेश्वर महादेव है। संभवत वर्षा ऋतु बाढ़ इत्यादि के समय जब ओम्कारेश्वर पहुंचना संभव ना होता होगा, तब इसके दर्शन से ही धर्मावलंबी संतुष्ट होते होंगे।
Also Read: महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं
5. केदारनाथ
मंदाकिनी नदी के किनारे चोराबाड़ी ग्लेशियर उत्तराखंड में मौजूद केदारनाथ धाम भारत के सबसे ऊंचे ज्योतिर्लिंगों में से एक है। जहाँ भगवान शिव लिंग रूप में विराजते हैं।
यहां की हवाओं में आपको भगवान भोलेनाथ की एक अलग ही सुखद लहर का अनुभव होगा जिसको शब्दों में बताना असंभव है। केदारनाथ धाम के बारे में कुछ खास बातें –
- ये समुद्र तल से 3583 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
- केदारनाथ मंदिर तक की चढ़ाई लगभग 16 किलोमीटर की है।
- केदरनाथ मंदिर में शिव की आराधना शैव सम्प्रदाय के पुजारी करते हैं।
- केदारनाथ का शिवलिंग तिकोने आकार में है। वो आम शिवलिंग की तरह नहीं दिखता।
- केदारनाथ से जुड़ा एक फैक्ट ये भी है कि भैरव इस मंदिर की रक्षा करते हैं। इसलिए जब केदारनाथ के दर्शन को श्रद्धालु जाते हैं तो भगवान भैरव के दर्शन जरूर करते हैं।
- यहां जाने के लिए हेलिकॉप्टर और घोड़े आदि उपलब्ध हैं, लेकिन ट्रेकिंग करके जाने का अलग ही मजा है।
- केदारनाथ का ये मंदिर पंच केदार यानी केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर का हिस्सा है, जो की भगवान शिव को समर्पित पांच धार्मिक स्थल हैं।
6. काशी विश्वनाथ
काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह भारत के उत्तर प्रदेश के प्राचीन शहर बनारस के विश्वनाथ गली में स्थित है। यह हिंदुओं के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है और भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है। यह मंदिर पिछले कई हजारों सालों से पवित्र गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। मंदिर के मुख्य देवता को श्री विश्वनाथ और विश्वेश्वर के नाम से जाना जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ है ब्रह्मांड के भगवान। ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। वाराणसी को प्राचीन काल में काशी कहा जाता था, और इसलिए इस मंदिर को लोकप्रिय रूप से काशी विश्वनाथ मंदिर कहा जाता है। मंदिर को हिंदू शास्त्रों द्वारा शैव संस्कृति में पूजा का एक केंद्रीय हिस्सा माना जाता है।
इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आदि शंकराचार्य, सन्त एकनाथ, गोस्वामी तुलसीदास सभी का आगमन हुआ है। यहीं पर सन्त एकनाथजी ने वारकरी सम्प्रदाय का महान ग्रन्थ श्रीएकनाथी भागवत लिखकर पूरा किया और काशीनरेश तथा विद्वतजनों द्वारा उस ग्रन्थ की हाथी पर धूमधाम से शोभायात्रा निकाली गयी। महाशिवरात्रि की मध्य रात्रि में प्रमुख मंदिरों से भव्य शोभा यात्रा ढोल नगाड़े इत्यादि के साथ बाबा विश्वनाथ जी के मंदिर तक जाती है।
Also Read: शिव रात्रि क्यों मनाई जाती हैं? | Shivratri Festival
7. त्र्यम्बकेश्वर
महर्षि गौतम और उनकी पत्नी ब्रह्मगिरी पर्वत पर एक आश्रम में निवास करते थे, जहां कई ऋषि-मुनि महर्षि गौतम के प्रति ईर्ष्या रखते थे। ईर्ष्यालु ऋषियों ने गौतम ऋषि पर गौहत्या का आरोप लगाया और उन्हें आश्रम से निकालने की योजना बनाई। तब गौतम ऋषि ने मां गंगा को प्राप्त करने के लिए भगवान शिव की तपस्या की और भगवान शिव की कृपा से गंगा पृथ्वी पर प्रकट हुई।
भगवान शिव ने गौतम ऋषि से वर मांगने के लिए कहा और गौतम ऋषि ने देवी गंगा को त्र्यंबकेश्वर में प्रकट होने का वरदान मांगा। गंगा ने यह शर्त रखी कि भगवान शिव इस स्थान पर रहेंगे, तब ही वह यहां रहेगी। इसके बाद भगवान शिव ने त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग का रूप धारण किया और गंगा नदी गोदावरी के रूप में बहने लगी।
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में तीन छोटे शिवलिंग हैं, जिन्हें त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु और महेश का रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर के दर्शन से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और पुराने पापों से मुक्ति मिलती है।
8. वैद्यनाथ
वैद्यनाथ मन्दिर भारतवर्ष के झारखण्ड राज्य के देवघर नामक स्थान में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। शिव का एक नाम ‘बैद्यनाथ भी है, इस कारण लोग इसे ‘वैद्यनाथ धाम’ भी कहते हैं। यह एक सिद्धपीठ है। इस कारण इस लिंग को ‘कामना लिंग’ भी कहा जाता है।
देवघर में शिव का अत्यन्त पवित्र और भव्य मन्दिर स्थित है। हर वर्ष सावन के महीने में स्रावण मेला लगता है जिसमें लाखों श्रद्धालु ‘बोल-बम!’ ‘बोल-बम!’ का जयकारा लगाते हुए बाबा भोलेनाथ के दर्शन करने आते हैं। ये सभी श्रद्धालु अजगैबीनाथ मंदिर , सुल्तानगंज से पवित्र गंगा का जल लेकर लगभग सौ किलोमीटर की अत्यन्त कठिन पैदल यात्रा कर बाबा को जल चढाते हैं।
9. नागेश्वर
सावन में 12 ज्योतिर्लिंग के स्मरण से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं, इसमें से एक है ‘नागेश्वर ज्योतिर्लिंग’। यह गुजरात के द्वारका धाम से 17 किलोमीटर बाहर दूर स्थित है, यह ज्योतिर्लिंग नाग दोष से मुक्ति दिलाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, एक दारुका नामक राक्षसी थी उसे दारुका वन में जाने की अनुमति नहीं थी, एक दिन उसने माता पार्वती की तपस्या कर उन्हें प्रसन्न कर लिया और उसने राक्षसों को दारुका वन में जाने की अनुमति का वरदान मांगा.। लेकिन वरदान मिलते ही दारुका और अन्य राक्षसों ने वन को देवताओं से छीन लिया। वन में एक सुप्रिया नाम की शिवभक्त थी जिसे दारुका ने बंदी बना लिया था. इसके बाद सुप्रिया ने शिव की तपस्या की और उनसे राक्षसों के नाश का वरदान मांगा, अपनी परम भक्त की रक्षा के लिए भगवान शिव दिव्य ज्योति के रूप में प्रकट हुए, महादेव ने राक्षसों से विनाश कर दिया, सुप्रिया ने उस ज्योतिर्लिंग का विधिवत पूजन किया और शिवजी से इसी स्थान पर स्थित होने का आग्रह किया। भगवान शिव अपने भक्त का आग्रह मान कर वहीं स्थित हो गये।
10. रामेश्वर
रामेश्वर अर्थात राम के ईश्वर, रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग, भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों और चारों धामों में से एक है, रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वयं भगवान राम ने की थी। पौराणिक कथा के अनुसार, रावण ने जब माता सीता का हरण किया तत्पश्चात श्रीराम ने उन्हें पुनः प्राप्त करने के लिए रावण का वध किया और उसके वध से उन्हें जो ब्राह्मणहत्या का पाप लगा उससे मुक्ति प्राप्त करने के लिए उन्होंने शिवलिंग स्थापित किया। यही शिवलिंग आगे चलकर रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के नाम से विख्यात हुआ। ऐसा कहा जाता हैं कि इस मंदिर में गंगाजल से प्रभु की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और यहां के पवित्र जल में स्नान करने से गंभीर बिमारियाएं भी ठीक हो जाती हैं।
11. घृष्णेश्वर/घुश्मेश्वर
महाराष्ट्र के औरंगाबाद के पास स्थित घृष्णेश्वर मंदिर, भगवान शिव का 12वां ज्योतिर्लिंग है। इसे घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है, और इसका निर्माण 18वीं शताब्दी में रानी अहिल्याबाई होल्कर ने कराया था। इस मंदिर की महत्वपूर्णता इसी में है कि यह भगवान शिव का अंतिम 12वां ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यहां पर महाशिवरात्रि की पूजा (Shiva Murti)और सावन मास की पूजा-अर्चना करने से विशेष पुण्य मिलता है, और भक्तों की भरी संख्या में यहां समागम होता है।
पौराणिक कथा के अनुसार देवगिरि पर्वत के पास सुधर्मा अपनी पत्नी सुदेहा के साथ निवास करते थे, इन दोनों को कोई संतान नहीं थी, एक दिन सुदेहा ने सुधर्मा से अपनी छोटी बहन घुष्मा से दूसरा विवाह करने की बात कही, पहले तो सुधर्मा ने सुझाव को नकार दिया लेकिन बाद में मान गई, घुष्मा शिव की परम भक्त थी. उसे विवाह के बाद सुंदर बच्चा हुआ. लेकिन इसके बाद सुदेहा के मन में नकारात्मक विचार पनपने के कारण, उसने घुष्मा के युवा पुत्र को रात में सोते समय मार डाला और शव को तालाब में फेंक दिया, इसी तलाव में घुष्मा भगवान शिव के पार्थिव शिवलिंगों को बहाती थी।
पुत्र की मौत पर परिवार में शोक की लहर दौड़ गई, घुष्मा को भगवान शिव पर पूरा विश्वास था. रोज की भांति घुष्मा ने उसी तलाव के किनारे 100 शिवलिंग बनाकर भगवान शिव की पूजा प्रारंभ की, थोड़ी देर बाद ही तालाब से उसका पुत्र आता दिखाई दिया. घुष्मा ने जैसे ही पूजा समाप्त की भगवान शिव प्रकट हुए और बहन को दंड देने की बात कही. लेकिन घुष्मा ने ऐसा नहीं करने की भगवान से प्रार्थना की. इस बात से शिवजी अत्यंत प्रसन्न हुए और वरदान मांगने का कहा. तब घुष्मा ने भगवान शिव से इसी स्थान पर निवास करने के लिए कहा. भगवान ने कहा ऐसा ही होगा. तब से यह स्थान घुष्मेश्वर के नाम से जाना जाता है।
12. पशुपतिनाथ
नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर कठमांडू के पास देवपाटन गांव में स्थित है, जो बागमती नदी के किनारे है। यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल है और यहां पर विश्वभर से पर्यटक आते हैं।
पशुपतिनाथ शब्द का अर्थ है “पशु” या जीवन और “नाथ” या मालिक। इसका अर्थ है कि पशुपतिनाथ सभी जीवों के स्वामी या भगवान हैं। इस मंदिर का निर्माण सोमदेव राजवंश के पशुप्रेक्ष ने तीसरी सदी ईसा पूर्व में कराया था।
मंदिर में पांच मुंह वाली महादेव की मूर्ति (Shiv Parivar Murti) है, जो बहुत ही भव्य है। पशुपतिनाथ मंदिर का संबंध विभिन्न पौराणिक कथाओं से है जो इसे एक अद्वितीय स्थल बनाती है। पशुपतिनाथ मंदिर के संबंध में यह मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस स्थान के दर्शन करता है उसे किसी भी जन्म में फिर कभी पशु योनि प्राप्त नहीं होती है।
13. अमरनाथ
अमरनाथ हिन्दू धर्म का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। यह भारत के जम्मू और कश्मीर प्रदेश की राजधानी,श्रीनगर के उत्तर-पूर्व में 135 किमी दूर समुद्रतल से 13,600 फुट की ऊँचाई पर स्थित है। अमरनाथ गुफा भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है क्योंकि यहीं पर भगवान शिव ने माँ पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था।
यहाँ की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है। प्राकृतिक हिम से निर्मित होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं। आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में होने वाले पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए लाखों लोग यहां आते हैं, गुफा की परिधि लगभग डेढ़ सौ फुट है और इसमें ऊपर से बर्फ के पानी की बूँदें जगह-जगह टपकती रहती हैं। यहीं पर एक ऐसी जगह है, जिसमें टपकने वाली हिम बूँदों से लगभग दस फुट लंबा शिवलिंग बनता है। चन्द्रमा के घटने-बढ़ने के साथ-साथ इस बर्फ का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है। श्रावण पूर्णिमा को यह अपने पूरे आकार में आ जाता है और अमावस्या तक धीरे-धीरे छोटा होता जाता है।
14. भीमाशंकर
भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंगों में भीमाशंकर का छठा स्थान है। यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे से लगभग 110 किलोमीटर दूर सह्याद्रि पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग काफी बड़ा और मोटा है, जिसके कारण इस मंदिर को “मोटेश्वर महादेव” के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के पास ही भीमारथी नदी (भीमा नदी) बहती है जो कृष्णा नदी में जाकर मिलती है।
शिव पुराण में उल्लेख मिलता है कि राक्षस भीमा और भगवान शंकर के बीच हुई लड़ाई से भगवान शिव के शरीर से निकले पसीने की बूंद से ही भीमारथी नदी (भीमा नदी) का निर्माण हुआ है, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पर्वत पर स्थित है रोचक बात यह है कि यहां इन पहाड़ियों के आसपास जंगलों में जो वनस्पतियां पाई जाती हैं वह भारतवर्ष में अन्य कहीं पर भी नहीं मिलती और यहां कई प्रकार के प्राणियों की दुर्लभ प्रजातियां भी है, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग वर्षा ऋतु में पूरी तरह से जल में डूब जाता है. इस मंदिर के पास ही कमलजा मंदिर भी है जो कि भारत वर्ष में बहुत प्रसिद्ध मंदिर माना गया है. कमलजा माता को माता पार्वती का अवतार ही माना जाता है।
निष्कर्ष: भारत में 12 ज्योतिर्लिंग कौन से हैं?
भारत में 12 ज्योतिर्लिंग हैं, जिनमें सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, अमरनाथ, केदारनाथ, भीमाशंकर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, त्र्यम्बकेश्वर, रामेश्वर, गृष्णेश्वर, और काशी विश्वनाथ शामिल हैं। महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर इन ज्योतिर्लिंगों (Shiva Murti) का अत्यंत महत्व है, जिनका दर्शन करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों को आनंद और शांति मिलती है।