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Simha Sankranti Date 2023: जाने क्या होती है सिंह संक्रांति और आखिर कब है सिंह संक्रांति डेट व शुभ मुहूर्त

Simha Sankranti

Simha Sankranti Date 2023: सिंह संक्रांति  भगवान विष्णु,  भगवान नरसिम्हा,  और भगवान सूर्य की पूजा के लिए  अच्छा माना जाता है  और इस त्यौहार को  भारत के उत्तरी और दक्षिणी इलाकों के  लोगों द्वारा बहुत ही उत्साह के साथ  सिंह संक्रांति क्यों मनाया जाता है  भक्तों का कहना है कि  सिंह संक्रांति के दिन  भगवान विष्णु,  भगवान नरसिंह,  और भगवान सूर्य की पूजा करने से  घर में शांति और समृद्धि लेकर आता है और  जो व्यक्ति भी परेशानियों से  पीड़ित होता है  उसे उसकी परेशानियों से  मुक्ति मिलती है  और  उसके दोषों  का समापन होता है 

हिंदू  कैलेंडर में  टोटल 12  संक्रांति  होती हैं जब  सूर्य का  एक राशि से निकलकर  किसी दूसरी राशि में जाना  होता है तो  हिंदू पंचांग के अनुसार उसे संक्रांति कहते हैं  और आपकी जानकारी के लिए बता दें कि  भारत के कुछ   हिस्सों में  संक्रांति को  हर महीने की शुरुआत में मनाया जाता है  लेकिन वहीं दूसरी तरफ  भारत के कुछ हिस्सों में  इसी संक्रांति को  महीने के अंत में मनाया जाता है और इन पुरी 12  संक्रांतिओं में से  सिंह संक्रांति  भी एक संक्रांति हैं  जिसे  हिंदू धर्म के अनुसार माह श्रावण की शुरुआत में मनाया जाता है 

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मासिक संक्रांति क्या है? Simha Sankranti Kya Hai?

Simha Sankranti: एक पूरे वर्ष में  कुल 12 संक्रांति होती है  और इन 12 संक्रांति ओं में  सूर्य देवता  एक राशि से निकलकर  दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं  इसी को  मासिक संक्रांति कहते हैं और इन 12 पंक्तियों में  मकर संक्रांति  सबसे अधिक लोकप्रिय हैं  जिससे पूरे भारतवर्ष में  बड़े धूमधाम के साथ  सेलिब्रेट किया जाता है 

आवृत्ति मासिक
समय 1 दिन
कब मनाया जाता है  हर महीने की संक्रांति।
संक्रांति का कारण सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि मैं प्रवेश होना।
कैसे मनाया जाता है  सूर्य भगवान की उपासना, दान-दक्षिणा, गंगा स्नान, पवित्र नदियों मे स्नान, मेला।
कहां मनाया जाता है  प्रयागराज, गंगा सागर, पवित्र नदियाँ।

इस साल  सिंह संक्रांति  कब है? Simha Sankranti Kab Hai?

Narasimha-sankranti

 इस साल सिंह संक्रांति  17 अगस्त को मनाई जाएगी तथा इसका प्रारंभ  17 अगस्त को सुबह 6:44  मिनट से  लेकर  18 अगस्त को दोपहर 1:44  मिनट तक  रहेगी  और सिंह संक्रांति का दिन  भगवान विष्णु,  भगवान नरसीमा,  अब भगवान सूर्य की पूजा के लिए होता है  भारत के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों में  इस दिन को  बड़े ही उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है   क्योंकि भक्तों का मानना है कि ऐसा करने से  उनके घर में सुख, शांति  और समृद्धि आती है  तथा उनके  कष्टों का नाश होता है  और उनके जीवन पर  सकारात्मक प्रभाव डालता है और उनके करियर में भी  स्थिरता आती है  और साथी है व्यापारी और व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए  सौभाग्य लेकर आता है इतना ही नहीं  यह लोगों के लिए जीवन में अच्छा स्वास्थ्य भी लाता है  और सिंह संक्रांति पर  लोग गाय के घी का सेवन करते हैं  क्योंकि  लोगों का ऐसा मानना है कि  जो व्यक्ति इस दिन  गाय के घी का  सेवन करता है  उसके  बल, बुद्धि,  ऊर्जा , और  याददाश्त,  तेज होती है

सिंह संक्रांति को  तमिल नाडु,  कर्नाटका,  केरल,  और  आंध्र प्रदेश  मैं बड़े धूमधाम से मनाया जाता है  और मलयालम कैलेंडर के अनुसार  सिंह संक्रांति  सिंगर महीने की शुरूआत  लेकर आता है  और तमिल कैलेंडर के अनुसार   अवनी  महीने का प्रारंभ होता है  और बंगाली कैलेंडर के अनुसार  सिंह संक्रांति भाद्र माह का प्रारंभ लेकर आता है 

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कुल कितनी संक्रांति होती हैं  और उनके नाम क्या क्या है 

Simha Sankranti date

 हिंदू कैलेंडर के अनुसार  1 वर्ष में कुल  12 संक्रांति होती हैं  जिनके नाम  कुछ इस प्रकार हैं:- 

◉ सिंह संक्रांति – घी संक्रांति

◉ कन्या संक्रांति

◉ तुला संक्रांति

◉ वृश्चिक संक्रांति

◉ धनु संक्रांति

◉ मकर संक्रांति – पौष संक्रांति

◉ कुम्भ संक्रांति

◉ मीन संक्रांति – फूलदेई

◉ मेष संक्रांति – [सोलर नववर्ष] / पना संक्रांति / विषुक्कणी / पोइला बोइशाख

◉ वृषभ संक्रांति

◉ मिथुन संक्रांति

◉ कर्क संक्रांति – हरेला

 संक्रांति वाला दिन  दान  पुण्य  के लिए  अच्छा माना जाता है,  लेकिन इस दिन  शुभ कार्यों  से बचा जाता है  मकर संक्रांति एक समृद्ध चरण या संक्रमण के पवित्र चरण की शुरुआत का प्रतीक है। संक्रांति के बाद सभी पवित्र अनुष्ठान और शुभ  कार्यक्रम  किए जा सकते हैं।

कारण सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि की ओर स्थानांतरित होना।
उत्सव विधि सूर्य भगवान की उपासना, दान-दक्षिणा, गंगा स्नान, पवित्र नदियों मे स्नान, मेला।

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