Nirjala Ekadashi 2025 – Nirjala Ekadashi kab hai निर्जला एकादशी हिंदू पंचांग में सभी एकादशी व्रत में से सबसे कठिन है महत्वपूर्ण मानी जाती है जस्ट शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी कहा जाता है, हर साल कुल 24 एकादशी आती है इसमें से निर्जला एकादशी सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती है। निर्जला एकादशी का व्रत सबसे कठोर परंतु इस व्रत को करने से साल भर की सभी एकादशी का फल प्राप्त हो जाता है और भगवान विष्णु की विशेष कृपा हम पर बनी रहती है ऐसा माना जाता है कि मिथिला एकादशी का व्रत 24 एकादशी के बराबर होता है। इस व्रत में आप अपनी भी नहीं पी सकते इसलिए इसे जुलाई एकादशी कहते हैं। इस साल निर्जला एकादशी का व्रत 6 जून को शुक्रवार के दिन रखा जाएगा।
हमारे हिंदू धर्म में वैदिक पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 5 जून सुबह 3:56 पर शुरू होगी और तिथि का समापन 6 जून सुबह 2:40 पर हो रहा है। ऐसे में निर्जला एकादशी व्रत 6 जून 2025 को शुक्रवार के दिन रखा जाएगा। इस व्रत का पारण 7 जून को किया जाएगा।
निर्जला एकादशी की पौराणिक कथा | Nirjala Ekadashi 2025
निर्जला एकादशी की कथा महाभारत के समय से पांडव पुत्र भीम से जुड़ी हुई है। भी अपनी भूख और ताकत के लिए प्रसिद्ध थे भी भूख नहीं रह सकते थे इसलिए उन्हें वर्ष के सभी 24 एकादशी व्रत का पालन करना कठिन लगता था। इस समस्या का समाधान पाने के लिए उन्होंने महर्षि दिव्या की शरण में गए। उसके बाद महर्षि दिव्यांश ने ही उन्हें निर्जला एकादशी व्रत करने का सुझाव दिया और बताया कि यदि वह इस व्रत को पूरी श्रद्धा और कठोरता के साथ कर सकते हैं तो उन्हें 24 एकादशी व्रत का फल एक साथ प्राप्त हो जाएगा। तभी से इस व्रत को भीमसेन या पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
निर्जला एकादशी की पूजा कैसे करें | Nirjala Ekadashi kab hai
Nirjala Ekadashi के दिन सबसे पहले सुबह स्नान करें फिर सूर्य देव को प्रणाम करें। इसके बाद आपको पीले वस्त्र धारण करने चाहिए और भगवान विष्णु की पूजा करें और मन में संकल्प लें कि आज आपको यह व्रत करना है। पूजा के समय भगवान विष्णु को पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें। पूजा के समय भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता के मित्रों का मन में जप करें। फिर व्रत का संकल्प लेने के बाद अगले दिन सूर्य होने तक जल की एक बूंद भी ग्रहण न करें। इसमें आपको अन्य का और फलाहार का भी त्याग करना होगा। अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को स्नान करके फिर से श्री हरि की पूजा करने के बाद आप अन्य ग्रहण कर सकते हैं।
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निर्जला एकादशी के दिन आपको ये काम भूल कर भी नहीं करने चाहिए
- इस दिन आपको तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। यदि आपका आवश्यक होता लेकिन पहले ही पत्ते तोड़ कर रख सकते हैं।
- इस दिन आप शारीरिक संबंध बनाने से भी बचे।
- निर्जला एकादशी के दिन घर मे चावल बिल्कुल नहीं बनाए।
- इस दिन आप घर में प्याज, लहसुन, मास, मदिरा का सेवन ना करे।
- साथी किसी के साथ लड़ाई झगड़ा ना करें, किसी के बारे में बुरा ना सोचो, और ना ही आपको क्रोध करना चाहिए।