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मेहंदीपुर बालाजी और सालासर बालाजी में क्या अंतर है | Mehandipur Balaji or Salasar Balaji Mai Kya Antar Hai

मेहंदीपुर बालाजी और सालासर बालाजी में क्या अंतर है

मेहंदीपुर बालाजी और सालासर बालाजी में क्या अंतर है – हमारे पूरे भारत देश में हनुमान जी भगवान के अनेक पवित्र स्थान है जहां पर उनके भक्त उनके दर्शन करने के लिए जाते हैं। इन सब में से हनुमान जी भगवान के दो प्रमुख स्थान हैं Mehandipur Balaji or Salasar Balaji मेहंदीपुर बालाजी और सालासर बालाजी दोनों ही स्थान पूरी दुनिया भर में बहुत प्रसिद्ध है और इन दोनो की ही मान्यता बहुत है परंतु दोनों की मान्यता का इतिहास में और पूजा विधि में कुछ महत्वपूर्ण अंतर है तो इस लेख में हम जानते हैं कि मेहंदीपुर बालाजी और सालासर बालाजी मे क्या फर्क है

 

मेहंदीपुर बालाजी – मेहंदीपुर बालाजी Mehandipur Balaji राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है यह हनुमान जी भगवान का मंदिर है जो की बालाजी के नाम से भी जाना जाता है मेहंदीपुर बालाजी पर भक्त जन बहुत प्रकार की बुरी शक्तियों भूत प्रेत और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति पाने के लिए आते हैं और यह मंदिर इसी चीज के लिए प्रसिद्ध है| मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है। यह सभी सपने से शुरू हुआ था और गोसाई जी ने बालाजी की पूजा करने के लिए मंदिर की स्थापना की थी।

 

सालासर बालाजी –सालासर बालाजी Salasar Balaji राजस्थान राज्य के चुरू जिले में स्थित है। यह भी हनुमान जी का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है यहां भी उनके भक्त उनके दर्शन करने के लिए दूर दुनिया से आते हैं सालासर बालाजी की खास बात यह है कि वह भारत के अन्य मंदिरों से अनोखा है यहां हनुमान जी भगवान दाड़ी मूंछ वाली मूर्ति स्थापित हैं यहां आपको बालाजी की मूर्ति को देखकर आश्चर्य होगा जो शालिग्राम पत्थर से बनी है। मूर्ति पर बहुत सारे सोने की सजावट की गई है और विशेष रूप से 5 किलो सोने की छतरी। यहां भी हनुमान जी भगवान का बहुत ही भव्य मंदिर है और कहते हैं कि यहां आकर जो भी भक्त उनसे जो मांगते है उसकी मनोकामना आवश्यक पूरी होती है।

मेहंदीपुर बालाजी और सालासर बालाजी में क्या अंतर है

मेहंदीपुर बालाजी जाने का सही समय

यदि आप भी मेहंदीपुर बालाजी जाना चाहते हैं तो उसके लिए कुछ निश्चित समय नहीं होता है परंतु आपके लिए बालाजी के दर्शन करने के लिए सबसे अच्छा सामान होली में जन्माष्टमी और नवरात्र के समय यदि आप आते हैं तो यहां आप अच्छे से दर्शन कर सकते है।

 

और यदि हम समय की बात करें तो मंदिर खुलने का समय सुबह 5:30 है। तब पुजारी के द्वारा बालाजी का अभिषेक किया जाता है। इसके बाद वहां पर पारले जी की 40 मिनट की आरती चलती है जिसमें आप शामिल हो सकते है। और रात्रि 9:00 तक मंदिर के पट बंद हो जाते हैं। यदि हम बालाजी के अच्छे से दर्शन करना चाहते हैं तो आपके लिए सबसे अच्छा समय होगा कि आप 6:00 आपके लिए सबसे अच्छा समय होगा कि आप को सुबह 6:00 से दोपहर 1:00 के बीच में मंदिर जाना चाहिए।

 

और यदि आप मेहंदीपुर बालाजी जा रहे हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए कि यहां पर निर्धारित किया जाता है कि बालाजी मंदिर की ओर पीछे ना देखें और किसी अनजान व्यक्ति से वहां पर बात ना करें।

मेहंदीपुर बालाजी और सालासर बालाजी में क्या अंतर है

सालासर बालाजी जाने का सही समय

वैसे तो हनुमान जी का मंदिर के दर्शन करने का कोई सही समय नहीं होता है आप सालासर बालाजी के दर्शन कभी भी कर सकते हैं। यदि आपको बालाजी की शक्ति देखनी है और उनके दर्शन करने हैं तो आपको चित्र पूर्णिमा और आश्विन पूर्णिमा के दौरान यात्रा की योजना करनी चाहिए इस दौरान बड़े पैमाने पर मिले भी आयोजित किए जाते हैं। व अक्टूबर और अप्रैल के महीने में भी आप बालाजी जा सकते हो।

इसके अलावा, मंदिर में ताले, बंद होने और आरती के लिए अलग-अलग समय-सारिणी होती हैं। जैसे कि ग्रीष्मकाल के दिनों में समय सुबह 5 बजे से रात 10 बजे तक होता है, वैसे ही शीतकाल के महीनों में यह समय सुबह 5:30 बजे से रात 11 बजे तक होता है।

 

  1. स्थान: मेहंदीपुर बालाजी राजस्थान राज्य के दौसा जिले में स्थित है जबकि सालासर बालाजी भी  राजस्थान के ही चुरू जिले में।
  2. इतिहास: मेहंदीपुर बालाजी का इतिहास प्राचीन और चमत्कारी घटनाओं से जुड़ा है, जबकि सालासर बालाजी की स्थापना 18वीं सदी में एक किसान द्वारा प्रतिमा की खोज के बाद हुई।
  3. मुख्य उद्देश्य: मेहंदीपुर बालाजी विशेष रूप से भूत-प्रेत और नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति के लिए प्रसिद्ध है, जबकि सालासर बालाजी सामान्यतः हनुमान जी की भक्ति और आशीर्वाद के लिए प्रसिद्ध है।
  4. अनुष्ठान: मेहंदीपुर बालाजी में विशेष अनुष्ठानों और तांत्रिक विधियों का अधिक महत्व है, जबकि सालासर बालाजी में पारंपरिक पूजा और भक्ति का मुख्य स्थान है।

 

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