Mangala gauri vrat: संसार में हर उत्सव और व्रत अपनी अपनी महत्वपूर्णता रखते हैं, जो धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं को प्रकट करते हैं। इन उपवास और व्रतों का उद्देश्य आत्मा को शुद्धि, शांति और आनंद की प्राप्ति होती है। एक ऐसा प्रसिद्ध व्रत है “मंगला गौरी व्रत”, जो माता पार्वती के प्रति अद्भुत भक्ति का प्रतीक है। यह व्रत हिन्दू धर्म में माता पार्वती की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
मंगला गौरी व्रत का आयोजन श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को किया जाता है, इस दिन माता पार्वती की पूजा विशेष भक्ति और उत्साह के साथ की जाती है। व्रत की शुरुआत सुबह स्नान और पूजा से होती है, जिसमें व्रती महिलाएं परम सौभाग्यवती होने की कामना करती हैं। व्रत के दौरान व्रती महिलाएं पार्वती माता की कथा सुनती हैं और उनके चरणों में अपनी भक्ति और प्रेम व्यक्त करती हैं। इस व्रत का पालन करने से माता पार्वती सुख-शांति और खुशियों की प्राप्ति करती हैं, जिससे व्रती महिलाएं भी खुशहाल और समृद्धि पूर्ण जीवन जीने की कामना करती हैं।
इस ब्लॉग में, हम मंगला गौरी व्रत के महत्वपूर्ण पहलुओं, विधि-विधान और कथा के बारे में गहराई से जानेंगे, जिससे हम इस आदर्श धार्मिक प्रथा की महत्वपूर्णता को समझ सकेंगे। – Mangala gauri vrat
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मंगला गौरी व्रत कब है – mangala gauri vrat 2023
Mangala gauri vrat: मंगला गौरी व्रत का आयोजन श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को होता है। यह व्रत हिन्दू पंचांग के अनुसार निर्धारित किया जाता है और महिलाएं इसे विशेष भक्ति और उत्साह के साथ करती हैं। इस साल (2023) में, मंगला गौरी व्रत 22 अगस्त को है।
क्या है मंगला गौरी व्रत – mangala gauri vrat vidhi hindi
मंगला गौरी व्रत, माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। इस व्रत का आयोजन श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को होता है और यह व्रत महिलाएं अपने पति की लंबे और सुखमय जीवन की कामना में करती हैं। विशेष रूप से जिनके पास संतान प्राप्ति की इच्छा होती है, वे इस व्रत को बड़े श्रद्धा और भक्ति से करते हैं। यह मान्यता भी है कि मंगला गौरी व्रत के पालन से सुहागिन महिलाएं अपने पति के साथ अखंड सौभाग्य का आनंद उठाती हैं। इसके अलावा, जो जोड़े दांपत्य जीवन में किसी प्रकार की समस्याओं से गुजर रहे हैं, उनके लिए भी यह व्रत आपूर्ति और खुशियों का स्रोत साबित हो सकता है। इसी तरह, अविवाहित कन्याएँ भी मंगला गौरी व्रत का पालन करके अपने उत्तम जीवनसाथी की प्राप्ति की कामना करती हैं।
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मंगला गौरी व्रत का महत्व – mangala gauri vrat vidhi
Mangala gauri vrat: मंगला गौरी व्रत का महत्व अत्यधिक महत्वपूर्ण है, और यह व्रत माता पार्वती के प्रति भक्ति और आशीर्वाद की विशेष प्रकार की प्रकटि है। इस व्रत का पालन करके महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति की कामना करती हैं। यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए उनके पति के साथ अखंड सौभाग्य की प्राप्ति का माध्यम होता है। विवाह के योग की प्राप्ति के लिए कुंवारी कन्याएं भी इस व्रत का पालन कर सकती हैं, जिससे उनके लिए शीघ्र ही विवाह के योग बन सकते हैं। इसके साथ ही, जो व्यक्ति मंगल दोष से प्रभावित होते हैं, उन्हें भी मंगला गौरी व्रत का पालन करना चाहिए, क्योंकि इसके माध्यम से उनके जीवन में धीरे-धीरे मंगल के प्रभाव कम हो सकते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां पार्वती ने इस व्रत का पालन करके भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था, जिससे यह व्रत उनकी भक्ति और प्रेम की अद्वितीय प्रतीक बन गया।
मंगला गौरी व्रत पूजन सामग्री | मंगला गौरी व्रत पूजन सामग्री 2023
मंगला गौरी व्रत के पूजन में निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है: सोलह श्रृंगार आइटम, फल, देसी घी, दिया, कपास, मिठाई, पान, सुपारी, इलायची, लौंग, फूल और पंचमेवा। माता गौरी की पूजा को पवित्र समर्पण और भक्ति के साथ करें।
पूजा में इन बातों का रखें विशेष ख्याल – मंगला गौरी व्रत कितने करने चाहिए
पूजा में इन बातों का विशेष ध्यान रखना महत्वपूर्ण है:
आप जब सावन मास के अंतिम मंगलवार को पांच साल तक मंगला गौरी व्रत रखते हैं, तो पूजन करने के बाद पांचवें वर्ष में इस व्रत का उद्यापन अवश्य करें। इसके बिना, आपका व्रत पूरा नहीं माना जाएगा। उद्यापन के दिन को ध्यान से चुनें और माता पार्वती की पूजा और आराधना के साथ ही इस व्रत के उद्यापन की क्रिया को भी सम्पन्न करें।
यह भी याद रखें कि मां मंगला गौरी व्रत के उद्यापन के बाद भी आपको सावन मास के आखिरी मंगलवार को व्रत पूरा करना चाहिए। इससे आपकी पूजना और व्रत की पूर्णता में और भी वृद्धि होगी और आपके मनोबल को भी बढ़ावा मिलेगा।
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mangala gauri vrat katha – मंगला गौरी व्रत की कथा
मंगला गौरी पौराणिक व्रत कथा : मंगला गौरी व्रत कथा विधि
एक समय की बात है, एक शहर में धरमपाल नाम का एक व्यापारी रहता था। उसकी पत्नी काफी खूबसूरत थी और उसके पास काफी संपत्ति थी। लेकिन कोई संतान न होने के कारण वे दोनों अत्यंत दुःखी रहा करते थे।
ईश्वर की कृपा से उनको एक पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन वह अल्पायु था। उसे यह श्राप मिला था कि 16 वर्ष की उम्र में सांप के काटने से उसकी मौत हो जाएगी। संयोग से उसकी शादी 16 वर्ष से पहले ही एक युवती से हुई जिसकी माता मंगला गौरी व्रत किया करती थी।
परिणाम स्वरूप उसने अपनी पुत्री के लिए एक ऐसे सुखी जीवन का आशीर्वाद प्राप्त किया था जिसके कारण वह कभी विधवा नहीं हो सकती थी। इस वजह से धरमपाल के पुत्र ने 100 साल की लंबी आयु प्राप्त की।
इस कारण से सभी नवविवाहित महिलाएं इस पूजा को करती हैं तथा गौरी व्रत का पालन करती हैं तथा अपने लिए एक लंबी, सुखी तथा स्थायी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं। जो महिला इस मंगला गौरी व्रत का पालन नहीं कर सकतीं, उस महिला को श्री मंगला गौरी पूजा को तो कम से कम करना ही चाहिए।
इस कथा को सुनने के पश्चात विवाहित महिला अपनी सास एवं ननद को 16 लड्डू देती है। इसके उपरांत वे यही प्रसाद ब्राह्मण को भी ग्रहण करतीं है। इस विधि को पूरा करने के बाद व्रती 16 बाती वाले दीपक से देवी की आरती करती हैं।
व्रत के दूसरे दिन बुधवार को देवी मंगला गौरी की प्रतिमा को नदी अथवा पोखर में विसर्जित किया जाता है। अंत में माँ गौरी के सामने हाथ जोड़कर अपने समस्त अपराधों के लिए एवं पूजा में हुई त्रुटियों के लिए क्षमा अवश्य मांगें। इस व्रत एवं पूजा के अनुष्ठा को परिवार की खुशी के लिए लगातार 5 वर्षों तक किया जाता है।
मंगला गौरी व्रत को ध्यानपूर्वक करने से आपको माता पार्वती के आशीर्वाद में और भी सार्थकता मिलेगी
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मंगला गौरी व्रत मंत्र – Mangala Gauri Mantra
जयन्ती मंगला काली भद्र काली कपालिनी,
दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते..!
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके,
शरण्यये त्रयबिके गौरी नारायणी नमोस्तुते..!!
मंगला गौरी व्रत की आरती – Mangala Gauri Aarti
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता ब्रह्मा सनातन देवी शुभ फल कदा दाता।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।
अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।
सिंह को वाहन साजे कुंडल है, साथा देव वधु जहं गावत नृत्य करता था।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।
सतयुग शील सुसुन्दर नाम सटी कहलाता हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।
शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाता।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।
सृष्टी रूप तुही जननी शिव संग रंगराता नंदी भृंगी बीन लाही सारा मद माता।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।
देवन अरज करत हम चित को लाता गावत दे दे ताली मन में रंगराता।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।
मंगला गौरी माता की आरती जो कोई गाता सदा सुख संपति पाता।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।
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मंगला गौरी व्रत के उपाय (Mangla Gauri Vrat 2023 Upay) – मंगला गौरी व्रत विधि
- मंगला गौरी की पूजा के दौरान, श्री मंगला गौरी मंत्र “ॐ गौरीशंकराय नम:” का जाप करें। इस मंत्र के जाप से मां मंगला गौरी का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
- मंगल दोष को दूर करने के लिए, सावन में पड़ने वाले मंगलवार के दिन श्री रुद्रावतार हनुमान जी के आशीर्वाद प्राप्त करें और तुलसीदास की ‘रामचरितमानस’ के सुंदरकांड का पाठ करें।
- मंगला गौरी की पूजा के बाद, गरीब और जरूरतमंद लोगों में लाल मसूर की दाल और लाल वस्त्र का दान करें। इससे कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति मजबूत होती है।
- मंगला गौरी व्रत के दिन, लाल वस्त्र में दो मुट्ठी मसूर की दाल बांधकर, गरीब या भिखारी को दान कर दें। इसके माध्यम से आपका कर्मिक और मानसिक शुभता में वृद्धि होगी, और मांगलिक संयोग भी बेहतर होगा।
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Mangala gauri vrat 2023 | मंगला गौरी व्रत कब है
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