मां कुष्मांडा हिंदू देवी दुर्गा के रूपों में से एक हैं, (Maa Kushmanda Aarti) जिनकी पूजा नवरात्रि के नौ दिनों के त्योहार के दौरान की जाती है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि मां कुष्मांडा ने अपनी दिव्य मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी। उन्हें सूर्य की निर्माता के रूप में भी जाना जाता है, यही कारण है कि उन्हें सूर्य के मुकुट के रूप में चित्रित किया गया है।
मां कुष्मांडा का आभार प्रकट करने और आशीर्वाद लेने के लिए भक्त आरती गाते हैं। आरती पूजा का एक हिंदू अनुष्ठान है जिसमें एक दीपक या मोमबत्ती जलाना और एक देवता को अर्पित करना शामिल है। यह परमात्मा के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता दिखाने का एक तरीका है।
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मां कुष्मांडा आरती/Maa Kushmanda Aarti :
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी माँ भोली भाली॥
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
माँ के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो माँ संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥