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जानिए खाटू श्याम कौन हैं तथा उनसे जुड़ी 10 बातें । किस कारण से पूजे जाते हैं कलयुग में खाटू श्याम ? | Khatu Shyam Worship

Khatu Shyam Worship

Khatu Shyam Worship: खाटू श्याम का मंदिर भारत के राजस्थान में सीकर जिले में खाटू नगर है जहां पर खाटू श्याम का मंदिर स्थित है। कुछ प्रमुख मान्यताओं के अनुसार, सभी खाटू श्याम मंदिरों में से राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम मंदिर सबसे प्रसिद्ध है। इस मंदिर में प्रतिदिन लाखों भक्त खाटू श्याम (Khatu Shyam) के दर्शन करने आते हैं। उनका मानना है कि जो भी मनोकामनाएं खाटूश्यामजी से मांगते हैं, सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके साथ ही हम आपको बता दें कि यह मंदिर 1000 साल से भी अधिक प्राचीन है और आज आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है। इस प्राचीन स्थल की शानदार स्थापत्यकला और ऐतिहासिक वास्तुकला को दर्शाने में बढ़ी हुई स्पष्टता और विविधता ने इसे एक अद्वितीय स्थान बना दिया है। यहाँ के श्रद्धालु न केवल धार्मिक भावनाओं से जुड़े हैं, बल्कि इस स्थल की ऐतिहासिक महत्ता और धार्मिक महिमा को समझने के लिए भी आते हैं।

कलियुग में खाटू श्याम के पूजे जाने के 10 महत्वपूर्ण कारण

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कौन है खाटू श्याम जी। Who is Khatu Shyam 

श्याम बाबा की पूजा कैसे करनी चाहिए

खाटू श्याम  कोई और नहीं  भगवान श्री कृष्ण के ही कलयुगी अवतार हैं जो कि मां शक्तिशाली भीम के पुत्र घटोत्कच  के पुत्र हैं  इनकी माता का नाम मोरवी  है खाटू श्याम का पहले नाम  बर्बरीक था  उन्हें यह नाम  भगवान श्री कृष्ण ने  दिया था क्योंकि भगवान श्री कृष्ण ने  बर्बरीक से प्रसन्न हुए थे  तो उन्होंने  बर्बरीक को श्याम नाम दिया और खाटू में स्थित होने के कारण उनका नाम खाटू श्याम (Khatu Shyam) पड़ गया  वैसे  खाटू श्याम के अनेकों नाम है  जिनमें से उनके भक्त उन्हें भक्त खाटू श्याम जी, नीले घोड़े का सवार,  तीन बाण धारी,  लखदातार, हारे का सहारा, शीश का दानी, मोर्वीनंदन, खाटू वाला श्याम, खाटू नरेश, श्याम धनी, आदि नामों से पुकारते हैं

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खाटू श्याम की कहानी । Story and History of Khatu Shyam

जैसा कि हमने ऊपर दी हुई पंक्तियों में पढ़ा कि खाटू श्याम का पूर्व नाम बर्बरीक था, जो कि जगत के सर्वोत्तम धनुर्धर थे। उन्होंने अपनी शिक्षा स्वयं भगवान श्रीकृष्ण से प्राप्त की थी। भगवान श्रीकृष्ण के निर्देशानुसार उन्होंने मां दुर्गा की कठोर तपस्या की और उनसे तीन अमोघ बाण प्राप्त किए। ये तीन बाण इतने शक्तिशाली थे कि बर्बरीक उनसे संपूर्ण पृथ्वी पर विजय प्राप्त कर सकते थे। जब बर्बरीक को यह ज्ञात हुआ कि महाभारत का महायुद्ध होने वाला है, तो उन्होंने इसमें भाग लेने का संकल्प लिया और सीधे अपनी माता के पास आशीर्वाद लेने पहुंचे। उनकी माता ने बदले में उनसे एक वचन लिया कि वे हारने वाले पक्ष का साथ देंगे। परंतु भगवान श्रीकृष्ण को यह स्वीकार नहीं था क्योंकि वे पूर्व से ही जानते थे कि इस युद्ध में कौरवों की पराजय निश्चित है। यदि बर्बरीक कौरवों की ओर से युद्ध करते, तो इस युद्ध का परिणाम कुछ और ही होता। इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने ब्राह्मण का रूप धारण कर बर्बरीक से महाभारत युद्ध के भूमि पूजन हेतु उनका शीश माँगा। इसी घटना के पश्चात बर्बरीक का नाम खाटू श्याम पड़ा और वे दानवीर के नाम से प्रसिद्ध हो गए। कहते हैं कि बर्बरीक के बलिदान से ही महाभारत का युद्ध संपन्न हुआ और धर्म की विजय हुई।

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कलियुग में खाटू श्याम के पूजे जाने के 10 महत्वपूर्ण कारण ।  Khatu Shyam Worship 

  • खाटू श्याम का  अर्थ है ‘मां सैव्यम पराजित:’ इसका मतलब  जो हारे और निराश लोगों को  शक्ति और बल  प्रदान करता हो 
  • खाटू श्याम को भगवान श्री कृष्ण का  कलयुग के अवतार माना जाता है  और इनका जन्म उत्सव कार्तिक शुक्ल में  देवउठनी एकादशी के दिन मनाया  जाता है 
  •  हिंदू पंचांग के अनुसार  फाल्गुन माह के शुक्ल  षष्टि से लेकर बारस  तक  खाटू श्याम मंदिर  परिसर में  भव्य मेला का  आयोजन होता है  जिसे ग्यारस मेले के नाम से भी जाना जाता है 
  •  अभी  कल युग चल रहा है  और  भगवान श्रीकृष्ण से  बर्बरीक को यह वरदान प्राप्त था कि वह कलयुग में  उनकी पूजा होगी 
  • महाभारत के युद्ध  शुरुआत होने से पहले ही  बर्बरीक ने अपना  सिर भगवान श्री कृष्ण को  महाभारत भूमि पूजन के लिए दे दिया  जिससे वह प्रसन्न हुए  और उन्हें  कलयुग में अपने नाम से पूजे जाने का वरदान दिया 
  •  बाबा श्याम  खाटू धाम में स्थित कुंड में प्रकट हुए थे और श्रीकृष्ण शालिग्राम के रूप में  मंदिर में दर्शन देते हैं 
  • भगवान खाटू श्याम को  उनके भक्त  उन्हें अलग-अलग नामों से पुकारते हैं  पर इन सभी नामों के पीछे  कोई ना कोई वजह है  उन्हें  शीश का दानी  उन्हें इसलिए कहा जाता है  क्योंकि उन्होंने अपना शीश भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित कर दिया था
  • भगवान खाटू श्याम को  संसार का  सबसे बड़ा धनुर्धर  माना जाता है 
  •  बाबा श्याम  खाटू धाम में स्थित कुंड में प्रकट हुए थे और श्रीकृष्ण शालिग्राम के रूप में  मंदिर में दर्शन देते हैं 
  • भगवान शाम को  हारे का सहारा इसलिए बोला जाता है  क्योंकि वह हारे हुए पक्ष का साथ देने के लिए  तैयार थे
  •  पुरानी  मान्यताओं के अनुसार खाटू श्याम महाशक्तिशाली भीम के पुत्र घटोत्कच के पुत्र हैं  जिनका पहले नाम  बर्बरीक था  उन्हें श्याम की उपाधि भगवान श्री कृष्ण से मिली थी 

कलियुग में खाटू श्याम के पूजे जाने के 10 महत्वपूर्ण कारण

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