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Khatu Shyam Chalisa Lyrics | खाटू श्याम चालीसा इन हिंदी | Khatu Shyam Chalisa PDF Download

Khatu Shyam Chalisa

Khatu Shyam Chalisa PDF: हिंदू धर्म में कई ऐसे देवी देवता है जो  दुनिया भर में लाखों भक्तों द्वारा पूजे जाते हैं और बेहद पूजनीय हैं ऐसे ही एक प्रिय देवता खाटू श्याम है  जिन्हें श्याम बाबा, तीन बाण धारी, नीले घोड़े का सवार,  शीश का दानी, व बर्बरीक आदि नामों से भी जाना जाता है  खाटू श्याम का मंदिर  राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है यहां लाखों भक्त हर दिन अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आते हैं और उनका ऐसा मानना है कि यहां आने से उनकी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होंगी खाटू श्याम से जुड़ी विभिन्न भक्ति प्रथाओं में से एक प्रथा  खाटू श्याम चालीसा (Khatu Shayam Chalisa) का भी है तो आज इस ब्लॉग में हम खाटू श्याम चालीसा के बारे में जानेंगे और साथ ही आपको इस  लेख में  खाटू श्याम चालीसा डाउनलोड करने के लिए पीडीएफ (Khatu Shyam Chalisa PDF) भी मिलेगा तो अंत तक इस लेख में बने रहे ! – khatu shyam chalisa bhajan

Khatu Shyam Chalisa Lyrics | खाटू श्याम चालीसा और आरती

Khatu shyam ki chalisa in Hindi: आप सभी का  आज के  इस आर्टिकल में  तह दिल से स्वागत है  आज आर्टिकल के अंदर  हम  खाटू श्याम चालीसा (Baba khatu shyam chalisa )  को देखने वाले हैं  जिसे आप  अपने मित्रों,  और फैमिली मेंबर  के साथ शेयर कर सकते हैं  और इसkhatu shyam chalisa lyrics का  भरपूर आनंद उठा सकते हैं  तो चलिए  बाबा खाटू श्याम चालीसा में  लीन होते हैं  और पढ़ते हैं – khatu shyam chalisa, खाटू श्याम चालीसा, khatu shyam chalisa lyrics, khatu shyam chalisa pdf, shri khatu shyam chalisa, khatu shyam ji chalisa, khatu shyam ki chalisa, खाटू श्याम चालीसा इन हिंदी, खाटू श्याम चालीसा और आरती, खाटू श्याम चालीसा इन हिंदी pdf, बाबा खाटू श्याम चालीसा, खाटू श्याम चालीसा download, खाटू श्याम चालीसा स्तुति, khatu shyam chalisa bhajan

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खाटू श्याम चालीसा – Also Read Khatu Shyam Other Articles

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खाटू श्याम कब जाना चाहिए

खाटू श्याम चालीसा के बारे में | Khatu Shyam Chalisa

Khatu Shyam History

चालीसा, हिंदी शब्द “चालिस” से लिया गया है, जिसका अर्थ है चालीस। यह चालीस छंदों से बना एक भक्तिपूर्ण भजन है, जिसे पारंपरिक रूप से किसी विशिष्ट देवता की स्तुति, सम्मान और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है। प्रत्येक छंद को काव्यात्मक सौंदर्य और आध्यात्मिक गहराई के साथ रचा गया है। खाटू श्याम चालीसा, Khatu Shyam Chalisa जो देवता के दिव्य गुणों के सार को दर्शाती है और भक्त पर उनकी कृपा का आह्वान करती है, इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ा जाता है। यह चालीसा भक्तों के मन में विश्वास और आत्मिक शांति का संचार करती है, जिससे उनका जीवन अधिक सुखमय और संतोषजनक हो जाता है।

खाटू श्याम चालीसा का पाठ करने के लाभ | Khatu Shyam Chalisa Benefits 

आध्यात्मिक स्थान: खाटू श्याम चालीसा खाटू श्याम के साथ अपने आध्यात्मिक संबंध को गहरा करने का एक शक्तिशाली माध्यम है। खाटू श्याम चालीसा का नियमित पाठ करने से  मन को शांति  तथा आसपास के वातावरण में शुद्धि होती है 

इच्छाओं की पूर्ति: खाटू श्याम के भक्तों का मानना है कि यदि खाटू श्याम चालीसा (shri khatu shyam chalisa) का पाठ पूरे मन  से किया जाए तो  भगवान खाटू श्याम के ऊपर कृपा बरसाते हैं और उनकी मनोकामना पूर्ण होती है 

संरक्षण और आशीर्वाद: ऐसा माना जाता है कि बाबा खाटू श्याम चालीसा का पाठ करने से  नकारात्मक उर्जा  दूर होती है  और जीवन में दिव्य कृपा का अनुभव होता है 

Khatu Shyam History | Khatu Shyam Chalisa

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Khatu Shyam Chalisa | खाटू श्याम चालीसा

|| दोहा ||

श्री गुरु चरण ध्यान धर, सुमिरि सच्चिदानन्द।
श्याम चालीसा भजत हूँ, रच चैपाई छन्द।।

|| चौपाई ||

श्याम श्याम भजि बारम्बारा, सहज ही हो भवसागर पारा।
इन सम देव न दूजा कोई, दीन दयालु न दाता होई।

भीमसुपुत्र अहिलवती जाया, कहीं भीम का पौत्र कहाया।
यह सब कथा सही कल्पान्तर, तनिक न मानों इनमें अन्तर।

बर्बरीक विष्णु अवतारा, भक्तन हेतु मनुज तनु धारा।
वसुदेव देवकी प्यारे, यशुमति मैया नन्द दुलारे।

मधुसूदन गोपाल मुरारी, बृजकिशोर गोवर्धन धारी।
सियाराम श्री हरि गोविन्दा, दीनपाल श्री बाल मुकुन्दा।

दामोदर रणछोड़ बिहारी, नाथ द्वारिकाधीश खरारी।
नरहरि रूप प्रहलद प्यारा, खम्भ फारि हिरनाकुश मारा।

राधा वल्लभ रुक्मिणी कंता, गोपी बल्लभ कंस हनंता।
मनमोहन चितचोर कहाये, माखन चोरि चोरि कर खाये।

मुरलीधर यदुपति घनश्याम, कृष्ण पतितपावन अभिराम।
मायापति लक्ष्मीपति ईसा, पुरुषोत्तम केशव जगदीशा।

विश्वपति त्रिभुवन उजियारा, दीनबन्धु भक्तन रखवारा।
प्रभु का भेद कोई न पाया, शेष महेश थके मुनियारा।

नारद शारद ऋषि योगिन्दर, श्याम श्याम सब रटत निरन्तर।
कवि कोविद करि सके न गिनन्ता, नाम अपार अथाह अनन्ता।

हर सृष्टि हर युग में भाई, ले अवतार भक्त सुखदाई।
हृदय माँहि करि देखु विचारा, श्याम भजे तो हो निस्तारा।

कीर पड़ावत गणिका तारी, भीलनी की भक्ति बलिहारी।
सती अहिल्या गौतम नारी, भई श्राप वश शिला दुखारी।

श्याम चरण रच नित लाई, पहुँची पतिलोक में जाई।
अजामिल अरु सदन कसाई, नाम प्रताप परम गति पाई।

जाके श्याम नाम अधारा, सुख लहहि दुख दूर हो सारा।
श्याम सुलोचन है अति सुन्दर, मोर मुकुट सिर तन पीताम्बर।

गल वैजयन्तिमाल सुहाई, छवि अनूप भक्तन मन भाई।
श्याम श्याम सुमिरहुं दिनराती, शाम दुपहरि अरु परभाती।

श्याम सारथी सिके रथ के, रोड़े दूर होय उस पथ के।
श्याम भक्त न कहीं पर हारा, भीर परि तब श्याम पुकारा।

रसना श्याम नाम पी ले, जी ले श्याम नाम के हाले।
संसारी सुख भोग मिलेगा, अन्त श्याम सुख योग मिलेगा।

श्याम प्रभु हैं तन के काले, मन के गोरे भोले भाले।
श्याम संत भक्तन हितकारी, रोग दोष अघ नाशै भारी।

प्रेम सहित जे नाम पुकारा, भक्त लगत श्याम को प्यारा।
खाटू में है मथुरा वासी, पार ब्रह्म पूरण अविनासी।

सुधा तान भरि मुरली बजाई, चहुं दिशि नाना जहाँ सुनि पाई।
वृद्ध बाल जेते नारी नर, मुग्ध भये सुनि वंशी के स्वर।

दौड़ दौड़ पहुँचे सब जाई, खाटू में जहाँ श्याम कन्हाई।
जिसने श्याम स्वरूप निहारा, भव भय से पाया छुटकारा।

|| दोहा ||

श्याम सलोने साँवरे, बर्बरीक तनु धार।
इच्छा पूर्ण भक्त की, करो न लाओ बार।।

।। इति श्री खाटू श्याम चालीसा समाप्त ।।

 

खाटू श्याम चालीसा उच्चारण सहित (Khatu Shyam Chalisa With Meaning)

यदि आप खाटू श्याम चालीसा का उच्चारण सहित पाठ करना चाहते हैं, तो आज का यह लेख आपके लिए बेहद लाभकारी साबित होगा। हमने नीचे आपके लिए खाटू श्याम चालीसा का उच्चारण श्लोक के आधार पर प्रस्तुत किया है। इसे पढ़कर आप संपूर्ण खाटू श्याम चालीसा का अर्थ जान सकेंगे। तो चलिए, खाटू श्याम चालीसा का पाठ उच्चारण सहित आरंभ करते हैं और इस भक्ति में डूबकर आत्मिक शांति का अनुभव करते हैं। इस पावन पाठ के माध्यम से आप खाटू श्याम जी की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करेंगे।

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Khatu Shyam Chalisa Lyrics | Khatu Shyam Chalisa

।। दोहा ।।

श्री गुरु चरण ध्यान धर, सुमिरि सच्चिदानन्द।

श्याम चालीसा भणत हूँ, रच चौपाई छन्द।।

उच्चारण:  मैं गुरु के चरणों का ध्यान करते हुए और ईश्वर को मन में रख कर, श्याम चालीसा का पाठ करता हूँ और उसकी चौपाईयाँ व छन्द पढ़ता हूँ।

 

।। चौपाई ।।

श्याम श्याम भजि बारम्बारा, सहज ही हो भवसागर पारा।

इन सम देव न दूजा कोई, दीन दयालु न दाता होई।

भीमसुपुत्र अहिलवती जाया, कहीं भीम का पौत्र कहाया।

यह सब कथा सही कल्पान्तर, तनिक न मानों इसमें अन्तर।

उच्चारण: जो भी व्यक्ति बार-बार श्याम नाम का भजन करता है, वह अवश्य ही इस भव सागर को पार कर जाता है। श्याम बाबा के जैसा कोई दूसरा देवता नहीं है और ना ही उनके जैसा कोई दयालु व दानवीर है। पांडव भीम का विवाह हिडिम्बा से हुआ था जिससे उन्हें घटोत्कच नाम का पुत्र हुआ। तब घटोत्कच ने मोरवी से विवाह किया जिससे उन्हें बर्बरीक नाम का पुत्र हुआ जो श्याम बाबा कहलाये। यह घटना द्वापर युग के अंत में हुई थी और किसी को भी इस पर संशय नहीं होना चाहिए।

 

बर्बरीक विष्णु अवतारा, भक्तन हेतु मनुज तनु धारा।

वसुदेव देवकी प्यारे, यशुमति मैया नन्द दुलारे।

मधुसूदन गोपाल मुरारी, बृजकिशोर गोवर्धन धारी।

सियाराम श्री हरि गोविन्दा, दीनपाल श्री बाल मुकन्दा।

उच्चारण: बर्बरीक स्वयं भगवान विष्णु के ही एक अवतार हैं जिन्होंने मानव कल्याण के उद्देश्य से मनुष्य रूप में अवतार लिया था। श्रीकृष्ण के रूप में वे वासुदेव बाबा व देवकी माता के प्यारे पुत्र हैं और नन्द बाबा व यशोदा माता को भी बहुत प्रिय हैं। वे चारों ओर प्रेम का रस बिखेरने वाले, गायों की रक्षा करने वाले, बांसुरी बजाने वाले, बृज क्षेत्र के निवासी तथा गोवर्धन पर्वत को उठाने वाले हैं। वे ही भगवान श्रीराम व हरि के अवतार श्रीकृष्ण हैं, वे ही सभी दीन पुरुषों के दुःखहर्ता तथा मुकुंद हैं।

 

दामोदर रणछोड़ बिहारी, नाथ द्वारिकाधीश खरारी।

नरहरि रूप प्रह्लाद प्यारा, खम्भ फारि हिरनाकुश मारा।

राधा वल्लभ रुक्मिणी कंता, गोपी वल्लभ कंस हनंता।

मनमोहन चित्तचोर कहाये, माखन चोरि चोरि कर खाये।

उच्चारण: उन्होंने ही मथुरा की युद्धभूमि को छोड़ दिया था और द्वारका में नयी नगरी बसायी थी। उन्होंने ही अपने भक्त प्रह्लाद की उसके दुष्ट पिता हिरण्यकश्यप से रक्षा करने के लिए भगवान नरसिंह का भीषण रूप लिया था और हिरण्यकश्यप का वध कर दिया था। वे ही राधा वल्लभ के रूप में रुक्मिणी के पति हैं और गोपियों के मन को प्रेम देने वाले और दुष्ट कंस का वध करने वाले श्रीहरि हैं। वे हम सभी के मन को मोहित कर देते हैं और माखन को चोरी करके खाते हैं।

 

मुरलीधर यदुपति घनश्याम, कृष्ण पतितपावन अभिरामा।

मायापति लक्ष्मीपति ईसा, पुरुषोत्तम केशव जगदीशा।

विश्वपति त्रिभुवन उजियारा, दीन बन्धु भक्तन रखवारा।

प्रभु का भेद कोई न पाया, शेष महेश थके मुनिराया।

उच्चारण: वे ही मधुर ध्वनि में बांसुरी बजाते हैं, यदुवंश के शासक हैं और घनश्याम भी हैं। वे अभिराम, माया के जनक, लक्ष्मी माता के पति, ईसा पूर्व में जन्मे, सभी पुरुषों में उत्तम, केशव व जगत के ईश्वर हैं। वे इस विश्व के अधिपति, तीनों लोकों में प्रकाश फैलाने वाले, दीन-बन्धु व भक्तों की रक्षा करने वाले हैं। उनका रहस्य तो कोई नहीं जान पाया है और इसे जानते-जानते तो स्वयं शेषनाग व भगवान शंकर भी थक गए थे।

 

नारद शारद ऋषि योगिन्दर, श्याम श्याम सब रटत निरन्तर।

कवि कोविद करि सके न गिनन्ता, नाम अपार अथाह अनन्ता।

हर सृष्टि हर युग में भाई, ले अवतार भक्त सुखदाई।

हृदय माँहि करि देखु विचारा, श्याम भजे तो हो निस्तारा।

उच्चारण: नारद मुनि, शारदा माता, ऋषि, योगी सभी ही श्याम-श्याम का नाम जपते रहते हैं। आपके गुणों का बखान तो कवि लोग भी नहीं कर सकते हैं क्योंकि यह अनन्त है। आपने हर युग में अवतार लेकर धर्म की रक्षा की है और भक्तों का उद्धार किया है। मैं अपने हृदय में यह विचार करता हूँ कि यदि आपके भजन किये जाएं तो हम सभी का उद्धार हो जाए।

 

कीर पढ़ावत गणिका तारी, भीलनी की भक्ति बलिहारी।

सती अहिल्या गौतम नारी, भई श्राप वश शिला दुखारी।

श्याम चरण रच नित लाई, पहुँची पतिलोक में जाई।

अजामिल अरु सदन कसाई, नाम प्रताप परम गति पाई।

उच्चारण: माता शबरी ने आपकी बहुत भक्ति की और आपने उन्हें नवधा भक्ति का ज्ञान देकर उद्धार कर दिया। उसी तरह माता अहिल्या इतने वर्षों से अपने पति का श्राप झेल रही थी, आपने अपने चरणों से उनकी पत्थर की मूर्ति को छूकर उनका उद्धार कर दिया। जो भी व्यक्ति आपके नाम का गुणगान करता है, उसका उद्धार हो जाता है।

 

जाके श्याम नाम अधारा, सुख लहहि दुःख दूर हो सारा।

श्याम सुलोचन है अति सुन्दर, मोर मुकुट सिर तन पीताम्बर।

गल वैजयन्तिमाल सुहाई, छवि अनूप भक्तन मन भाई।

श्याम श्याम सुमिरहु दिनराती, शाम दुपहरि अरु परभाती।

उच्चारण: जो भी व्यक्ति श्याम का नाम लेता है, उसके सभी दुःख दूर हो जाते हैं और उसे सुख की अनुभूति होती है। श्याम भगवान का रूप बहुत ही सुंदर है जिनके सिर पर मोर मुकुट है तो शरीर पर पीले रंग के वस्त्र। गले में फूलों की माला जो उनके भक्तों को बहुत ही भा रही है। मैं सुबह, शाम, दोपहर हर समय श्याम नाम का जाप करता रहता हूँ।

 

श्याम सारथी जिसके रथ के, रोड़े दूर होय उस पथ के।

श्याम भक्त न कहीं पर हारा, भीर परि तब श्याम पुकारा।

रसना श्याम नाम रस पी ले, जी ले श्याम नाम के हाले।

संसारी सुख भोग मिलेगा, अन्त श्याम सुख योग मिलेगा।

उच्चारण: जिस भी व्यक्ति को श्याम बाबा रास्ता दिखाते हैं, उसके मार्ग के सभी संकट अपने आप ही दूर हो जाते हैं। श्याम भक्तों की कभी भी हार नहीं होती है और श्याम बाबा हमेशा उनकी सहायता करने को तत्पर रहते हैं। जो भी व्यक्ति श्याम नाम के रस में डूब जाता है और उनका नाम लेता है, उसे संसार के सभी सुख-संपत्ति मिलती है और जीवन सफल हो जाता है।

 

श्याम प्रभु हैं तन के काले, मन के गोरे भोले भाले।

श्याम संत भक्तन हितकारी, रोग दोष अघ नाशै भारी।

प्रेम सहित जे नाम पुकारा, भक्त लगत श्याम को प्यारा।

खाटू में है मथुरा वासी, पार ब्रह्म पूरण अविनासी।

उच्चारण: श्याम भगवान के शरीर का रंग अवश्य ही काला है लेकिन अंदर से वे बहुत ही निर्मल हैं। श्याम बाबा अपने भक्तों के हितों की हमेशा ही रक्षा करते हैं और उनके सभी तरह के रोग, दोष, पाप इत्यादि का नाश कर देते हैं। जो भी व्यक्ति प्रेम के साथ श्याम बाबा का नाम लेता है, उस पर श्याम बाबा की कृपा बरसती है। श्याम बाबा के दर्शन करने तो मथुरा के लोग भी खाटू में आये हैं और उनसे याचना कर रहे हैं।

 

सुधा तान भरि मुरली बजाई, चहुँ दिशि नाना जहाँ सुनि पाई।

वृद्ध बाल जेते नारी नर, मुग्ध भये सुनि वंशी के स्वर।

दौड़ दौड़ पहुँचे सब जाई, खाटू में जहां श्याम कन्हाई।

जिसने श्याम स्वरूप निहारा, भव भय से पाया छुटकारा।

उच्चारण: श्याम भगवान ने अपनी बांसुरी उठा कर जैसे ही उसे बजाया तो चारों दिशाओं में खुशी फैल गयी। सभी मनुष्य उस मुरली की धुन में ही खो गए और मंत्रमुग्ध हो गए। सभी मुरली की धुन को सुन कर उसी दिशा में ही दौड़ चले जहाँ श्याम बाबा इस मधुर राग को छेड़े बैठे थे। जिसने भी खाटू में श्याम बाबा का भव्य स्वरुप देख लिया, मानो उसको सभी से ही मुक्ति मिल गयी हो।

 

।। दोहा ।।

श्याम सलोने साँवरे, बर्बरीक तनु धार।

इच्छा पूर्ण भक्त की, करो न लाओ बार।।

उच्चारण: हे श्याम बाबा! हम सभी भक्तों के लिए सलोने सांवरे!! बर्बरीक और धनुष को उठाये हुए! अपने भक्तों के मन की सभी तरह की इच्छाओं को पूरा कीजिये और उनका उद्धार कीजिये।

 

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Khatu Shyam Chalisa PDF | खाटू श्याम चालीसा

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खाटू श्याम चालीसा इन हिंदी | खाटू श्याम चालीसा स्तुति

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जय हो सुंदर श्याम हमारे, मोर मुकुट मणिमय हो धारे।
कानन के कुंडल मन मोहे, पीत वस्त्र कटि बंधन सोहे।
गल में सोहत सुंदर माला, सांवरी सूरत भुजा विशाला।
तुम हो तीन लोक के स्वामी, घट घट के हो अंतरयामी।
पदम नाभ विष्णु अवतारी, अखिल भुवन के तुम रखवारी।
खाटू में प्रभु आप बिराजे, दर्शन करत सकल दु:ख भाजे।
रजत सिंहासन आय सोहते, ऊपर कलशा स्वर्ण मोहते।
अगम अनूप अच्युत जगदीशा, माधव सुर नर सुरपति ईशा।
बाज नौबत शंख नगारे, घंटा झालर अति झनकारे।
माखन मिश्री भोग लगावे, नित्य पुजारी चंवर ढुलावे।
जय जय कार होत सब भारी, दु:ख बिसरत सारे नर नारी।
जो कोई तुमको मन से ध्याता, मनवाछिंत फल वो नर पाता।
जन मन गण अधिनायक तुम हो, मधु मय अमृत वाणी तुम हो।
विद्या के भंडार तुम्ही हो, सब ग्रथंन के सार तुम्ही हो।
आदि और अनादि तुम हो, कविजन की कविता में तुम हो।
नील गगन की ज्योति तुम हो, सूरत चांद सितारे तुम हो।
तुम हो एक अरु नाम अपारा, कण कण में तुमरा विस्तारा।
भक्तों के भगवान तुम्हीं हो, निर्बल के बलवान तुम्हीं हो।
तुम हो श्याम दया के सागर, तुम हो अनंत गुणों के सागर।
मन दृढ राखि तुम्हें जो ध्यावे, सकल पदारथ वो नर पावे।
तुम हो प्रिय भक्तों के प्यारे, दीन दु:ख जन के रखवारे।
पुत्रहीन जो तुम्हें मनावें, निश्च्य ही वो नर सुत पावें।
जय जय जय श्री श्याम बिहारी, मैं जाऊं तुम पर बलिहारी।
जन्म मरण सों मुक्ति दीजे, चरण शरण मुझको रख लीजे।
प्रात: उठ जो तुम्हें मनावें, चार पदारथ वो नर पावें।
तुमने अधम अनेकों तारे, मेरे तो प्रभु तुम्ही सहारे।
मैं हूं चाकर श्याम तुम्हारा, दे दो मुझको तनिक सहारा।
कोढि जन आवत जो द्रारे, मिटे कोढ भागत दु:ख सारे।
नयनहीन तुम्हारे ढिंग आवे, पल में ज्योति मिले सुख पावे।
मैं मूरख अति ही खल कामी, तुम जानत सब अंतरयामी।
एक बार प्रभु दरसन दीजे, यही कामना पूरण कीजे।
जब जब जनम प्रभु मैं पाऊं, तब चरणों की भक्ति पाऊं।
मैं सेवक तुम स्वामी मेरे, तुम हो पिता पुत्र हम तेरे।
मुझको पावन भक्ति दीजे, क्षमा भूल सब मेरी कीजे।
पढे श्याम चालीसा जोई, अंतर में सुख पावे सोई।
सात पाठ जो इसका करता, अन धन से भंडार है भरता।
जो चालीसा नित्य सुनावे, भूत पिशाच निकट नहिं आवे।
सहस्र बार जो इसको गावहि, निश्च्य वो नर मुक्ति पावहि।
किसी रुप में तुमको ध्यावे, मन चीते फल वो नर पावे।
नंद बसो हिरदय प्रभु मेरे, राखोलाज शरण मैं तेरे।

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श्री गणेश चालीसा

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