Holi celebration in India: भारत विविधताओं का देश है, जहाँ हर त्योहार अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। होली, रंगों का त्योहार, भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है जो फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्योहार सिर्फ रंगों का ही नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, परंपराओं और विरासत का भी प्रतीक है।
भारत के विभिन्न राज्यों में होली के उत्सव को अलग-अलग नामों और रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है। लठमार होली से लेकर होला मोहल्ला तक, हर राज्य की होली अपने आप में अनूठी और विशेष है। इस ब्लॉग में, हम आपको भारत के विभिन्न राज्यों में मनाई जाने वाली होली के अद्भुत रूपों के बारे में बताएंगे, जिन्हें जानकर आप भी इस रंगीन त्योहार के महत्व और विविधता को समझ पाएंगे।
भारत में होली मनाने के लिए मुख्य 11 स्थान | Holi Celebration in India (11 Places)
भारत में होली का त्योहार हर जगह धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन कुछ स्थान ऐसे हैं जहाँ की होली अपनी विशिष्टता के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ हम आपको भारत के 11 ऐसे प्रमुख स्थानों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं, जहाँ होली का उत्सव अपने अनोखे अंदाज़ में मनाया जाता है:
1. बरसाना और नंदगाँव, उत्तर प्रदेश – लठमार होली | Lathmar Holi Celebration
बरसाना, राधारानी का जन्मस्थान और नंदगाँव, कृष्ण का जन्मस्थान माना जाता है। यहाँ होली का उत्सव ‘लठमार होली’ के रूप में मनाया जाता है, जिसमें महिलाएँ पुरुषों को लाठी से पीटती हैं, और पुरुष अपनी रक्षा के लिए ढाल का उपयोग करते हैं। यह उत्सव होली से एक सप्ताह पहले शुरू होता है और दो दिनों तक चलता है – पहले दिन बरसाना में और दूसरे दिन नंदगाँव में।
बरसाना में यह उत्सव राधा रानी मंदिर के पास स्थित ‘रंगीली गली’ में मनाया जाता है, जहाँ हजारों लोग इस अनोखे आयोजन को देखने के लिए एकत्रित होते हैं। पूरा माहौल रंगीन और उत्साहपूर्ण होता है, जिसमें गीत, नृत्य और हास्य का माहौल होता है।
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2. मथुरा और वृंदावन, उत्तर प्रदेश – रासलीला और फूलों की होली
मथुरा और वृंदावन, कृष्ण की जन्मभूमि और लीलाभूमि होने के कारण, होली का त्योहार यहाँ सबसे धूमधाम से मनाया जाता है। यहाँ होली का त्योहार लगभग एक महीने तक चलता है। वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर और मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर में होली के अवसर पर विशेष आयोजन होते हैं।
वृंदावन में ‘फूलों की होली’ की परंपरा है, जहाँ भगवान कृष्ण की मूर्ति को रंगीन फूलों से सजाया जाता है। यहाँ रासलीला और संगीत कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है, जिसमें राधा-कृष्ण के प्रेम और उनकी लीलाओं का वर्णन किया जाता है।
होली के दिन, सभी मंदिरों में विशेष आरती होती है, और भक्त भगवान कृष्ण की मूर्ति पर रंग और फूल चढ़ाते हैं। श्रद्धालु और पर्यटक दुनिया भर से यहाँ की होली देखने आते हैं और इस पवित्र स्थान पर होली मनाने का अनुभव लेते हैं।
3. हरिद्वार, उत्तराखंड – आध्यात्मिक होली | Holi Celebration in India
हरिद्वार, भारत के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है, जहाँ होली का त्योहार आध्यात्मिक रूप से मनाया जाता है। यहाँ होली के दिन, लोग पवित्र गंगा नदी में स्नान करते हैं और हर-की-पौड़ी पर विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।
हरिद्वार में होली का त्योहार सादगी और आध्यात्मिकता के साथ मनाया जाता है। यहाँ मंदिरों में विशेष पूजा होती है और साधु-संत होलिकोत्सव का आयोजन करते हैं। शाम को गंगा आरती के दौरान, पूरा माहौल भक्ति और आध्यात्मिकता से भर जाता है।
हरिद्वार में होली का अनुभव लेने वाले लोग, यहाँ की शांति और आध्यात्मिक माहौल से अभिभूत हो जाते हैं और इस त्योहार के वास्तविक अर्थ को समझ पाते हैं।
4. अनंदपुर साहिब, पंजाब – होला मोहल्ला
अनंदपुर साहिब में होली को ‘होला मोहल्ला’ के नाम से जाना जाता है। यह त्योहार सिखों के द्वारा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह परंपरा दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह द्वारा शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य युद्ध कौशल का प्रदर्शन और धार्मिक उत्साह को बढ़ावा देना था।
होला मोहल्ला के दौरान, सिख युवक अपने शस्त्र कौशल का प्रदर्शन करते हैं, जिसमें तलवारबाज़ी, नेज़ाबाज़ी, और घुड़सवारी शामिल है। यह सब ‘गतका’ नामक मार्शल आर्ट के रूप में प्रदर्शित किया जाता है।
इस अवसर पर विशाल जुलूस निकाला जाता है, जिसमें पंज प्यारे (पाँच प्यारे) सबसे आगे होते हैं। लंगर (सामूहिक भोजन) का आयोजन होता है, और कीर्तन और धार्मिक व्याख्यान होते हैं। यह त्योहार सिखों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और इसे बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
5. पुरी, ओडिशा – डोल पूर्णिमा | Holi Celebration in India
ओडिशा में होली को ‘डोल पूर्णिमा’ या ‘डोल जात्रा’ के नाम से जाना जाता है। पुरी के जगन्नाथ मंदिर में इस दिन विशेष आयोजन होता है, जहाँ भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों को विशेष रूप से सजाया जाता है और झूले पर बिठाया जाता है।
डोल पूर्णिमा के दिन, भगवान जगन्नाथ की विशेष पूजा होती है और उनकी मूर्ति को अबीर-गुलाल से सजाया जाता है। भक्त भगवान की मूर्ति के सामने नृत्य और गायन प्रस्तुत करते हैं और विशेष भोग लगाते हैं।
पुरी में होली का त्योहार बहुत ही आकर्षक और भव्य तरीके से मनाया जाता है। यहाँ की परंपराएँ और रीति-रिवाज़ ओडिशा की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को दर्शाते हैं।
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6. उदयपुर, राजस्थान – राजसी होली | Rajsi Holi Celebration in India
उदयपुर, राजस्थान की ‘झील नगरी’, होली के त्योहार को राजसी अंदाज़ में मनाती है। यहाँ होली के अवसर पर, सिटी पैलेस में विशेष समारोह का आयोजन होता है, जिसमें मेवाड़ के महाराणा और राजपरिवार शामिल होते हैं।
होली के एक दिन पहले, राजपरिवार और स्थानीय लोग शाही होलिका दहन में भाग लेते हैं। इसके बाद, महल में विशेष दरबार लगता है, जहाँ पारंपरिक राजस्थानी संगीत और नृत्य का आयोजन होता है।
होली के दिन, महाराणा और राजपरिवार के सदस्य आम जनता के साथ होली खेलते हैं। पूरा शहर रंगों और खुशियों से भर जाता है। उदयपुर की होली राजस्थान की राजसी संस्कृति और परंपराओं का जीवंत प्रदर्शन है।
7. गोवा – शिगमो उत्सव | Holi Celebration in India
गोवा में होली को ‘शिगमो’ के नाम से जाना जाता है, जो यहाँ का सबसे बड़ा हिंदू त्योहार है। यह त्योहार लगभग 15 दिनों तक चलता है और फाल्गुन मास (मार्च) में मनाया जाता है।
शिगमो उत्सव के दौरान, गोवा के विभिन्न गाँवों में रंगीन जुलूस निकाले जाते हैं, जिसमें लोग पारंपरिक वस्त्र पहनते हैं और पारंपरिक लोक नृत्य और संगीत प्रस्तुत करते हैं। ‘घोडेमोड़णी’ (घुड़सवारी का प्रदर्शन) और ‘रोमटामेल’ (छड़ी नृत्य) जैसे पारंपरिक नृत्य इस उत्सव का प्रमुख आकर्षण हैं।
शिगमो के दौरान, गोवा के विभिन्न हिस्सों में मेले और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। पारंपरिक मिठाइयाँ और व्यंजन बनाए जाते हैं और लोग एक-दूसरे के घर जाकर शुभकामनाएँ देते हैं।
8. हम्पी, कर्नाटक – कामा दहन उत्सव
कर्नाटक के ऐतिहासिक शहर हम्पी में होली को ‘कामा दहन उत्सव’ के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार कामदेव (प्रेम के देवता) के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्हें भगवान शिव ने क्रोध में जला दिया था।
हम्पी में होली के त्योहार के दौरान, विरूपाक्ष मंदिर और हम्पी के अन्य प्राचीन मंदिरों में विशेष पूजा होती है। रात को, एक बड़ी मूर्ति बनाई जाती है, जो कामदेव का प्रतिनिधित्व करती है, और उसे जलाया जाता है। इस समारोह के दौरान, लोग पारंपरिक गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं।
अगले दिन, लोग रंगों से खेलते हैं और एक-दूसरे को रंग लगाते हैं। हम्पी में होली का त्योहार कर्नाटक की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं का प्रतिनिधित्व करता है और यहाँ के ऐतिहासिक परिवेश में इसे मनाना एक अद्वितीय अनुभव है।
9. कुमाऊँ, उत्तराखंड – खड़ी होली | Khadi Holi Celebration in India
उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में होली को ‘खड़ी होली’ के रूप में मनाया जाता है। यह परंपरा दो महीने तक चलती है, जिसमें लोग पारंपरिक वस्त्र पहनकर, घर-घर जाकर, खड़े होकर होली के गीत गाते हैं और ढोल-दमाऊ बजाते हैं।
खड़ी होली में, ‘होरी’ नामक पारंपरिक गीत गाए जाते हैं, जो राग बसंत और राग कफी पर आधारित होते हैं। ये गीत कृष्ण और राधा के प्रेम, प्रकृति के सौंदर्य और बसंत ऋतु के आगमन का वर्णन करते हैं।
कुमाऊँ की खड़ी होली में रंगों का इस्तेमाल कम होता है, लेकिन संगीत और गायन का विशेष महत्व होता है। यह परंपरा कुमाऊँ की संगीत परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे ‘कुमाऊँनी होली’ के नाम से भी जाना जाता है।
अल्मोड़ा, नैनीताल, पिथौरागढ़ और अन्य कुमाऊँनी शहरों में, होली के दिन विशेष संगीत कार्यक्रमों का आयोजन होता है, जहाँ प्रसिद्ध होली गायक अपने गायन से लोगों का मनोरंजन करते हैं।
10. शांतिनिकेतन, पश्चिम बंगाल – बसंत उत्सव
पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन में, रबीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्व भारती विश्वविद्यालय में, होली को ‘बसंत उत्सव’ या ‘डोल उत्सव’ के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार बंगाली संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
बसंत उत्सव के दिन, छात्र और छात्राएँ पीले रंग के वस्त्र पहनते हैं, जो बसंत ऋतु का प्रतीक है। वे गायन और नृत्य प्रस्तुत करते हैं, जिसमें रबीन्द्र संगीत और नृत्य का विशेष महत्व होता है।
शांतिनिकेतन में होली का त्योहार बहुत ही सौम्य और सांस्कृतिक तरीके से मनाया जाता है। यहाँ की परंपराएँ और रीति-रिवाज़ बंगाली संस्कृति और रबीन्द्रनाथ टैगोर के विचारों और दर्शन को प्रतिबिंबित करते हैं।
11. मुंबई, महाराष्ट्र – रंगपंचमी | Rang Panchami Holi Celebration in India
महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में होली को ‘रंगपंचमी’ के नाम से जाना जाता है। यह त्योहार यहाँ बड़े उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
मुंबई में रंगपंचमी के दिन, लोग सुबह से ही रंगों से खेलना शुरू कर देते हैं। पूरे शहर में रंगों का त्योहार मनाया जाता है, और लोग एक-दूसरे पर रंग और पानी फेंकते हैं। ‘रेन डांस’ और डीजे के साथ होली पार्टियों का आयोजन किया जाता है, जहाँ लोग डांस और संगीत का आनंद लेते हैं।
महाराष्ट्र में होली के अवसर पर, ‘पुरंढी’ नामक पारंपरिक मिठाई बनाई जाती है और लोग एक-दूसरे के घर जाकर शुभकामनाएँ देते हैं। मुंबई में होली का त्योहार, विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं के मिश्रण का प्रतीक है, जो इस महानगर की विविधता और समृद्धि को दर्शाता है।
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होली का त्योहार भारत के किस-किस राज्य में मनाया जाता है?
होली का त्योहार भारत के लगभग सभी राज्यों में मनाया जाता है, लेकिन कुछ राज्यों में इसका विशेष महत्व है। निम्नलिखित राज्यों में होली के अलग-अलग रूप देखने को मिलते हैं:
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में होली का त्योहार सबसे अधिक उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। यहाँ ब्रज क्षेत्र (मथुरा, वृंदावन, बरसाना, नंदगाँव) की होली विश्व प्रसिद्ध है। लठमार होली, फूलों की होली और रंगों की होली के साथ-साथ, यहाँ संगीत और नृत्य का भी विशेष महत्व है।
उत्तराखंड
उत्तराखंड में होली को ‘खड़ी होली’ के रूप में मनाया जाता है। यहाँ लोग पारंपरिक वस्त्र पहनकर, खड़े होकर लोक गीत गाते हैं और होली मनाते हैं। कुमाऊँ क्षेत्र में यह होली विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
राजस्थान
राजस्थान में होली को राजसी अंदाज़ में मनाया जाता है। यहाँ राजघरानों की होली देखने लायक होती है, जहाँ महाराजा और महारानी सहित पूरा परिवार इस त्योहार में शामिल होता है। उदयपुर में होली का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
पंजाब
पंजाब में होली को ‘होला मोहल्ला’ के नाम से जाना जाता है। यह त्योहार सिखों के द्वारा अनंदपुर साहिब में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इसमें युद्ध कौशल का प्रदर्शन, घुड़सवारी और शस्त्रों के करतब दिखाए जाते हैं।
बिहार और झारखंड
बिहार और झारखंड में होली को ‘फगुआ’ के नाम से जाना जाता है। यहाँ लोक गीतों और पारंपरिक नृत्यों के साथ होली मनाई जाती है।
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल में होली को ‘डोल जात्रा’ या ‘डोल पूर्णिमा’ के नाम से मनाया जाता है। यहाँ रबीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित शांतिनिकेतन में, बसंत उत्सव के रूप में होली मनाई जाती है, जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम और नृत्य-संगीत का आयोजन होता है।
असम
असम में होली को ‘सुवा’ के नाम से मनाया जाता है। यहाँ पारंपरिक बिहू नृत्य और गीतों के साथ होली का उत्सव मनाया जाता है।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में होली को ‘रंगपंचमी’ के नाम से जाना जाता है। यहाँ होली के दिन ‘धुलंडी’ मनाई जाती है, जिसमें रंगों और पानी के साथ खेला जाता है।
गोवा
गोवा में होली को ‘शिगमो’ के नाम से जाना जाता है। यह त्योहार 15 दिनों तक चलता है, जिसमें पारंपरिक नृत्य, संगीत और रंगों के साथ उत्सव मनाया जाता है।
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भारत के विभिन्न राज्यों की होली
भारत के विभिन्न राज्यों में होली के उत्सव को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। हर राज्य की अपनी विशिष्ट परंपराएँ और रीति-रिवाज़ हैं, जो इस त्योहार को और भी खास बना देते हैं। आइए जानते हैं कुछ प्रमुख राज्यों की होली के बारे में:
लठमार होली – उत्तर प्रदेश का अनोखा त्योहार
लठमार होली भारत की सबसे प्रसिद्ध और अनोखी होली है, जो उत्तर प्रदेश के बरसाना और नंदगाँव में मनाई जाती है। इस होली में महिलाएँ पुरुषों को लाठी से पीटती हैं, और पुरुष अपनी रक्षा के लिए ढाल का उपयोग करते हैं। यह परंपरा राधा-कृष्ण की प्रेम कथाओं से जुड़ी हुई है।
लठमार होली वास्तव में एक नाट्य प्रदर्शन की तरह है, जिसमें बरसाना (राधा का गाँव) की महिलाएँ नंदगाँव (कृष्ण का गाँव) के पुरुषों को लाठी से पीटती हैं। यह परंपरा होली से कुछ दिन पहले शुरू होती है और इसमें गीत, नृत्य और मस्ती का खूब माहौल होता है।
खड़ी होली – उत्तराखंड की पारंपरिक होली
उत्तराखंड में, विशेष रूप से कुमाऊँ क्षेत्र में, होली को ‘खड़ी होली’ के रूप में मनाया जाता है। इस होली में, लोग पारंपरिक वस्त्र पहनकर, घर-घर जाकर, खड़े होकर होली के गीत गाते हैं और ढोल-दमाऊ बजाते हैं। यह परंपरा दो महीने तक चलती है, जिसमें होली के पारंपरिक गीत ‘होरी’ गाए जाते हैं।
खड़ी होली में रंगों का इस्तेमाल कम होता है, लेकिन संगीत और गायन का विशेष महत्व होता है। कुमाऊँ की खड़ी होली भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
ब्रज होली – मथुरा और वृंदावन की विशेष होली
ब्रज क्षेत्र, जिसमें मथुरा, वृंदावन, गोकुल, नंदगाँव और बरसाना शामिल हैं, भगवान कृष्ण की जन्मभूमि है। यहाँ होली का त्योहार लगभग एक महीने तक चलता है और इसे ‘ब्रज की होली’ के नाम से जाना जाता है।
ब्रज की होली में फूलों की होली, लठमार होली, और रासलीला जैसे विभिन्न आयोजन होते हैं। वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर और मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर में होली के अवसर पर विशेष आयोजन होते हैं, जहाँ भगवान कृष्ण की मूर्ति को रंगों से सजाया जाता है।
मथुरा में बरसाने की लट्ठमार होली
मथुरा जिले में स्थित बरसाना गाँव, राधा जी की जन्मभूमि के रूप में प्रसिद्ध है। यहाँ की लट्ठमार होली दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इस उत्सव में बरसाना की महिलाएँ (गोपियाँ) नंदगाँव के पुरुषों (गोपों) को लाठी से पीटती हैं, जबकि पुरुष अपनी रक्षा के लिए ढाल का उपयोग करते हैं।
यह परंपरा राधा-कृष्ण की प्रेम कथाओं से प्रेरित है, जिसमें कहा जाता है कि कृष्ण बरसाना आकर राधा और उनकी सखियों को छेड़ते थे, जिसके बदले में वे उन्हें लाठी से पीटती थीं। लट्ठमार होली के दौरान, गाँव के लोग पारंपरिक वस्त्र पहनते हैं और पारंपरिक गीत गाते हैं।
बरसाना की लट्ठमार होली
बरसाना की लट्ठमार होली भारत की सबसे अनोखी और आकर्षक होली मानी जाती है। यह होली होली से लगभग एक सप्ताह पहले मनाई जाती है और इसमें हजारों पर्यटक दुनिया भर से आते हैं।
इस होली में, बरसाना के राधा रानी मंदिर के पास स्थित ‘रंगीली गली’ में यह उत्सव मनाया जाता है। महिलाएँ लाठी लेकर पुरुषों का इंतज़ार करती हैं, जो ‘हुरियारें’ (होली के गीत) गाते हुए आते हैं। जब पुरुष महिलाओं को छेड़ते हैं, तो महिलाएँ उन्हें लाठी से पीटती हैं।
यह पूरा दृश्य बहुत ही रंगीन और मनोरंजक होता है, जिसमें गीत, नृत्य, हास्य और मस्ती का माहौल होता है। बरसाना की लट्ठमार होली न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है और यह भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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Holi festival | होली के हर राज्य में अलग नाम और अलग है रंग
होली का त्योहार भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है और हर जगह इसे अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। यहाँ कुछ प्रमुख राज्यों में होली के अलग-अलग नाम और उनके मनाने के तरीके के बारे में जानकारी दी गई है:
- उत्तर प्रदेश और बिहार – ‘फगुआ’ या ‘फाग’
- अबीर-गुलाल के साथ-साथ पारंपरिक व्यंजन जैसे गुजिया, मठरी और ठंडाई का सेवन
- ब्रज क्षेत्र में लठमार होली, फूलों की होली
- बंगाल – ‘डोल जात्रा’ या ‘डोल पूर्णिमा’
- राधा-कृष्ण की मूर्तियों को झूले पर बिठाकर जुलूस निकालना
- अबीर (गुलाल) का इस्तेमाल
- संगीत और नृत्य का आयोजन
- असम – ‘सुवा’
- बिहू नृत्य और गीतों के साथ उत्सव
- रंगों के साथ-साथ पारंपरिक व्यंजनों का सेवन
- महाराष्ट्र – ‘रंगपंचमी’
- रंगों के साथ-साथ ‘पुरंढी’ नामक पारंपरिक मिठाई का सेवन
- धुलंडी उत्सव
- गोवा – ‘शिगमो’
- 15 दिनों तक चलने वाला त्योहार
- पारंपरिक नृत्य और संगीत
- विशेष मिठाइयों का सेवन
- गुजरात – ‘धूलेटी’
- रंगों के साथ-साथ फागण मास के गीत
- उन्मुक्त उत्सव
- पंजाब – ‘होला मोहल्ला’
- सिखों द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार
- शस्त्र और युद्ध कौशल का प्रदर्शन
- लंगर (सामूहिक भोजन) का आयोजन
- हरियाणा – ‘डूलंडी’
- महिलाओं द्वारा पुरुषों को पीटने की परंपरा
- रंगों और पानी के साथ खेलना
- तमिलनाडु – ‘कामन पंडिगई’
- कामदेव की पूजा
- काम देव की मूर्ति को जलाना
- रंगों का कम इस्तेमाल
- आंध्र प्रदेश और तेलंगाना – ‘कामुनि पंडुगा’
- कामदेव की पूजा
- पारंपरिक व्यंजनों का सेवन
- उत्तराखंड – ‘खड़ी होली’
- ढोल-दमाऊ के साथ गीत गाना
- पारंपरिक वस्त्र
- होली के गीत ‘होरी’ गाना
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Lathmar Holi Celebration | Holi Celebration in India
Lathmar Holi, अर्थात लठमार होली, भारत की सबसे प्रसिद्ध और अनोखी होली है, जो उत्तर प्रदेश के बरसाना और नंदगाँव में मनाई जाती है। इस विशेष उत्सव के बारे में कुछ रोचक तथ्य:
उत्पत्ति और इतिहास
Lathmar Holi की उत्पत्ति राधा-कृष्ण की प्रेम कथाओं से हुई है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण बरसाना आकर राधा और उनकी सखियों को छेड़ते थे, जिसके बदले में वे उन्हें लाठी से पीटती थीं। इसी परंपरा को आज भी लठमार होली के रूप में मनाया जाता है।
समय और स्थान
Lathmar Holi होली से एक सप्ताह पहले मनाई जाती है। यह दो दिनों तक चलती है – पहले दिन बरसाना में और दूसरे दिन नंदगाँव में। बरसाना में यह उत्सव राधा रानी मंदिर के पास स्थित ‘रंगीली गली’ में मनाया जाता है।
उत्सव का स्वरूप
Lathmar Holi में, बरसाना की महिलाएँ (गोपियाँ) नंदगाँव के पुरुषों (गोपों) को लाठी से पीटती हैं, जबकि पुरुष अपनी रक्षा के लिए ढाल का उपयोग करते हैं। पुरुष ‘हुरियारें’ (होली के गीत) गाते हुए महिलाओं को छेड़ते हैं, जिसके बदले में महिलाएँ उन्हें लाठी से पीटती हैं।
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आकर्षण और महत्व
Lathmar Holi न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। हर साल हजारों पर्यटक इस अनोखे उत्सव को देखने के लिए बरसाना और नंदगाँव आते हैं। यह उत्सव भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो राधा-कृष्ण के प्रेम और उनकी लीलाओं का प्रतीक है।
विशेष आकर्षण
Lathmar Holi के दौरान, गाँव के लोग पारंपरिक वस्त्र पहनते हैं और पारंपरिक गीत गाते हैं। महिलाएँ रंगीन साड़ियाँ और पारंपरिक गहने पहनती हैं, जबकि पुरुष धोती-कुर्ता और पगड़ी पहनते हैं। पूरा माहौल बहुत ही रंगीन और उत्साहपूर्ण होता है, जिसमें गीत, नृत्य, हास्य और मस्ती का माहौल होता है।
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Conclusion: Holi Celebration in India | लठमार होली
Holi Celebration in India: भारत विविधताओं का देश है, जहाँ हर त्योहार अपने अनूठे अंदाज़ में मनाया जाता है। होली, रंगों का त्योहार, इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है। भारत के विभिन्न राज्यों में होली के अलग-अलग रूपों की यह यात्रा हमें हमारी संस्कृति और परंपराओं की समृद्धि और विविधता का अहसास कराती है।
लठमार होली से लेकर खड़ी होली तक, ब्रज की होली से लेकर होला मोहल्ला तक, हर राज्य की होली अपने आप में विशिष्ट और अद्भुत है। यह विविधता ही भारत की ताकत है, जो हमें एकजुट करती है और हमारी संस्कृति को समृद्ध बनाती है।
होली का त्योहार सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि प्रेम, भाईचारे और एकता का त्योहार भी है। आइए, इस होली हम सभी मिलकर इन परंपराओं को जीवित रखें और अपने त्योहारों की विविधता और समृद्धि का जश्न मनाएँ।
रंगों की इस दुनिया में, हम सब एक हैं, एक ही रंग में रंगे हुए – प्यार और भाईचारे के रंग में!